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कुशीनगर: मदरसे को मिला ग्रांट; SDM की मंजूरी के बावजूद अब 'अवैध'? पिछड़ा आयोग के सदस्य के आरोपों पर हंगामा

UP Madarsa News today: कुशीनगर में दो दशक से भी ज्यादा पुराने एक मदरसे को लेकर विवाद शुरू हो गया है. यूपी राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग के सदस्य मदरसे पर अवैध कब्जे और भ्रष्टाचार के आरोप लगाते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर कार्रवाई की मांग की है. हालांकि, तहसील और SDM की जांच में जमीन को मदरसे के पक्ष में दर्द करने को कहा गया था.  

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कुशीनगर में सालों पुराने मदरसे को लेकर छिड़ा विवाद
कुशीनगर में सालों पुराने मदरसे को लेकर छिड़ा विवाद
Raihan Shahid|Updated: Aug 11, 2025, 12:10 AM IST
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Kushinagar Madarsa News Today: उत्तर प्रदेश में एक और मदरसे को लेकर विवाद शुरू हो गया है. कुशीनगर में स्थित इस मदरसे को लेकर उत्तर प्रदेश राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग के सदस्य फूलबदन कुशवाहा ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखा, जिसमें उन्होंने मदरसे को अवैध बताते हुए कई गंभीर आरोप लगाए हैं. फूलबदन कुशवाहा की इस शिकायत के बाद मदरसे में पढ़ने वाले बच्चों में अपने भविष्य को संशय पैदा हो गया है. 

मिली जानकारी के मुताबिक, कुशीनगर जिले के फाजिलनगर नगर पंचायत में सालों पुराने मदरसे के अवैध बताते हुए फूलबदन कुशवाहा मुख्यमंत्री से शिकायत की है. फूलबदन कुशवाहा, उत्तर प्रदेश राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग के सदस्य हैं. ऐसे में उनकी शिकायत के कई मायने हैं. फूलबदन कुशवाहा का दावा है कि वार्ड नंबर 15 धनौजी खुर्द स्थित "मदरसा अंजुमन इस्लामिया फैजुल उलूम" सरकारी ग्राम सभा की जमीन पर अवैध तरीके से चल रहा है.

शिकायतकर्ता ने किया ये दावा

मुख्यमंत्री को लिखे गए पत्र में फूलबदन कुशवाहा ने बताया कि "1996 में मदरसा अंजुमन इस्लामिया फैजुल उलूम को सरकारी ग्रांट तो मिल गया था, लेकिन उस समय मदरसे के पास अपनी खुद की कोई जमीन नहीं थी. बाद में उन्होंने ग्राम सभा की जमीन पर कथित तौर पर अवैध कब्जा कर इमारत बना ली, जिसमें आज तक पढ़ाई जारी है."

फूलबदन कुशवाहा ने आरोप लगाया कि 2024 में प्रबंधक मंडल ने रिश्वत लेकर नियुक्तियां भी की हैं. यहां तक कि जमीन के असली मालिक के बेटे को ही एक पद पर रखकर वेतन दिया जा रहा है, जो भ्रष्टाचार का साफ मामला है.

जांच में हुआ बड़ा खुलासा

यह मामला पहले भी सरकारी दस्तावेजों में उठ चुका है. 27 सितंबर 2021 को तहसीलदार की जांच में यह सामने आया कि गाटा संख्या 103 में यह मदरसा है और 0.02480 हेक्टेयर रकबा में बना हुआ है. बताया जा रहा है कि तहसीलदार की जांच में पता चला कि यह बंजर भूमि है और ग्राम सभा धनौजी खुर्द की है, लेकिन ग्राम सभा ने इस पर कोई आपत्ति नहीं जताई. 

हालांकि, बाद में 20 दिसंबर 2021 को उपजिलाधिकारी ने इस जमीन को मदरसे के नाम पर दर्ज करने की इजाजत भी दे दी थी. यानी प्रशासनिक स्तर पर जमीन की स्थिति को लेकर सहमति बन चुकी थी. वहीं, अब फूलबदन कुशवाहा के पत्र के बाद जिस जमीन को लेकर विवाद खत्म हो गया, वह एक बार फिर शुरू हो गया है. 

'नियमों के दायरे में चल रहा है मदरसा'

मदरसा प्रबंधक सेराजुल का कहना है कि वह लंबे समय से इस मदरसे का संचालन कर रहे हैं और प्रशासनिक नियमों के दायरे में ही यह सब हो रहा है. उन्होंने कहा कि मदरसे का संचालन प्रशासन की इजाजत से ही हो रहा है. स्थानीय सभासद आबास ने भी इस मुद्दे पर खुलकर राय दी. जबकि फूलबदन कुशवाहा अपने आरोपों पर कायम हैं और कहते हैं कि प्रशासन को सच्चाई सामने लानी ही होगी. फिलहाल मामला मुख्यमंत्री कार्यालय और जिला प्रशासन की निगरानी में है.

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