SC on Madarsa: सुप्रीम कोर्ट से मदरसा छात्रों को थोड़ी राहत की उम्मीद दिखाई दी है. उत्तर प्रदेश के मदरसों में फाज़िल (पोस्टग्रेजुएट) और कामिल (ग्रेजुएट) कोर्स की पढ़ाई कर रहे करीब 37,000 छात्रों के भविष्य को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने नोटिस जारी किया है. अदालत ने इस मामले में केंद्र सरकार, उत्तर प्रदेश सरकार, यूजीसी (UGC) और ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती लैंग्वेज यूनिवर्सिटी से जवाब मांगा है.
यह नोटिस टीचर्स एसोसिएशन मदारिसे अरबिया की याचिका पर जारी किया गया है. याचिकाकर्ताओं की मांग है कि सुप्रीम कोर्ट राज्य सरकार को यह निर्देश दे कि वह ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती लैंग्वेज यूनिवर्सिटी को कामिल और फाज़िल की पढ़ाई कराने और डिग्री देने का अधिकार दे.
पिछले साल नवंबर 2024 में सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश मदरसा एजुकेशन एक्ट को तो संविधान सम्मत करार दिया था, लेकिन फाज़िल और कामिल कोर्स की डिग्रियों को मान्यता देने से इनकार कर दिया था. कोर्ट का कहना था कि ये डिग्रियां यूजीसी एक्ट के तहत निर्धारित मापदंडों पर खरी नहीं उतरतीं. इस फैसले के बाद मदरसा बोर्ड से पढ़ाई कर रहे हजारों छात्रों की डिग्रियों की वैधता पर सवाल खड़ा हो गया है.
मदरसों में कामिल और फाज़िल कोर्स कर रहे करीब 37 हजार छात्र अब डिग्री की वैधता को लेकर असमंजस में हैं. बिना मान्यता प्राप्त डिग्री के कारण ये छात्र उच्च शिक्षा और नौकरियों में पात्रता खो सकते हैं.
टीचर्स एसोसिएशन मदारिसे अरबिया की याचिका में कहा गया है कि राज्य सरकार ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती यूनिवर्सिटी को फाज़िल और कामिल की परीक्षा और डिग्री देने के लिए अधिकृत करे. छात्रों के भविष्य को बचाने के लिए त्वरित और व्यावहारिक समाधान निकाला जाए.