Pune News Today: देश में मुसलमानों के खिलाफ बढ़ती नफरत अब महाराष्ट्र में भी पहुंच चुकी है. यहां कई जिलों में मुसलमानों को उनकी धार्मिक पहचान के आधार पर निशाना बनाया जा रहा है. पुणे के ग्रामीण इलाके में एक मंदिर की बेहुरमती को लेकर मुसलमानों से जबरन उनकी दुकान बंद रखने को कहा गया है, जिससे उनकी रोजी रोजी को लेकर बड़ा सवाल खड़ा हो गया.
यह मामला पुणे के मुलशी तहसील के पवड गांव का है. यहां के रहने वाले राशिद (बदला हुआ नाम) का कहना है कि जब वह 11 साल के थे, तब अपने परिवार के साथ रोजगार की तलाश में उत्तर प्रदेश से यहां आए थे. पिछले 30 सालों में उन्होंने यहीं परवरिश पाई, शादी की और एक बेकरी खोली. लेकिन 2 मई 2025 को उनकी जिंदगी बदल गई, जब गांव के अन्नपूर्णा मंदिर की बेअदबी के आरोप में एक मुस्लिम लड़के को गिरफ्तार किया गया.
इंडी जर्नल में छपी रिपोर्ट के मुताबिक, बीते दो महीने से राशिद समेत दूसरे लोगों को दुकान बंद करने कहा गया है, इतना ही नहीं बहुसंख्यक समाज के असामाजिक तत्वों ने मुसलमानों को धमकी दी है कि वे गांव छोड़ दें. राशिद ने बताया कि यहां के लोग 'बाहरी मुस्लिम'कहते हैं. हालांकि, जो मुस्लिम परिवार पहले से ही यहां रह रहे हैं उन्हें 'स्थानीय मुस्लिम' कहा जाता है. उन्होंने कहा कि असली वजह यह नहीं है कि हम बाहर से आए हैं, बल्कि यह है कि हम मुसलमान हैं."
बीते 2 मई को एक नाबालिग मुस्लिम लड़के पर अन्नपूर्णा मंदिर में मूर्ति की बेअदबी का आरोप लगा. जिस लड़के पर बेहुरमती के आरोप लगे हैं वह पवड गांव का ही है और इसकी पैदाइश भी यहीं हुई है, लेकिन उसका परिवार का ताल्लुक बिहार से है. पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया. पुलिस की कार्रवाई के बावजूद हिंदूवादी संगठनों जैसे 'सकल हिंदू समाज' ने पूरे गांव में जबरन बंद कराया और रैली निकाली.
मुस्लिम परिवारों का आरोप है कि इसके बाद से मुस्लिम दुकानों और कारोबारियों को निशाना बनाया जा रहा है. उन लोगों को लगातार कारोबार बंद करने और गांव छोड़ने की धमकी दी जा रही है. माजिद (बदला हुआ नाम) ने बताया, "हमारा परिवार 60 साल से यहां रह रहा है, लेकिन अब मुझे भी बाहरी कहा जाता है. मस्जिद में भी हमें जाने नहीं दिया जाता सिर्फ स्थानीय मुसलमानों को ही इजाजत है. आलम यह है कि जुमे की नमाज के लिए हमें पुणे जाना पड़ता है."
पीपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज (PUCL) की टीम ने हाल ही में गांव का दौरा कर एक रिपोर्ट पेश की. इस रिपोर्ट में बताया गया है कि कुछ स्थानीय और बाहरी लोग गांव-गांव घूमकर लोगों को धमका रहे हैं कि वे मुसलमानों को रोजगार न दें, न ही घर किराए पर दें और न ही उनके साथ कोई कारोबार करें.
रिपोर्ट में कहा गया है कि कई मुस्लिम दुकानों की जबरन बंद करा दिया गया है, जिनमें बेकरी कबाड़ी, नाई और मांस की दुकानें शामिल हैं. इन दुकानों में काम करने वाले 100 से ज्यादा कर्मचारी अब बेरोजगार हो चुके हैं, जिनमें हिंदू और मुस्लिम दोनों शामिल हैं.
रिपोर्ट के मुताबिक, मंदिर की घटना के बाद करीब 350 मुस्लिम परिवार को निशाना बनाया गया है. इनमें से कई लोग पुणे, लोनावला या उत्तर प्रदेश लौट चुके हैं. समीर (बदला हुआ नाम) ने बताया, "मैं 18 साल से यहां रह रहा था. हिंदूवादी संगठनों की धमकी की वजह से बच्चों का एडमिशन रद्द कराना पड़ा. मेरे सामने समस्या यह है कि अब गांव लौट नहीं सकते और पुणे में दाखिले के पैसे नहीं हैं."
राशिद ने बताया कि उनकी सास पुणे की रहने वाली हैं और स्थानीय मुस्लिम मानी जाती हैं, लेकिन वो भी डर की वजह से उनका साथ नहीं दे पा रही हैं. राशिद के भाई का दूध का व्यापार था. उनकी डेयरी से हर रोज 1200 से 1300 लीटर दूध बिकता था, लेकिन अब ग्राहक लेने ही नहीं आ रहे हैं. ग्राहकों को हिंदूवादी संगठनों ने मुसलमानों को दुकानों से सामान खरीदने से मना किया है.
अन्नपूर्णा मंदिर में मूर्ति की बेअदबी अगले दिन ग्राम पंचायत ने तुगलकी फरमान जारी किया. इसमें कहा गया कि बाहर से आए मुसलमान मस्जिद में नमाज नहीं पढ़ सकेंगे. PUCL ने पाया कि पवड और आसपास के गांवों में बोर्ड लगे थे, "बाहरी मुसलमानों का प्रवेश वर्जित है."
हालांकि, यहां पर अब कुछ जगहों से बोर्ड हटाए जा चुके हैं, लेकिन नफरत हिंदूवादी संगठनों के जरिये बोई गई नफरत की बीज अभी भी बहुसंख्यक समाज के लोगों के दिलों में बरकरार है, जबकि मुसलमानों का बहिष्कार जारी है. PUCL के मिलिंद चंपानेरकर ने कहा, "लोगों में डर पैदा किया जा रहा है." उन्होंने कहा, "हमें डर है कि यह नफरत वाला मॉडल दूसरे गांवों में भी फैल सकता है. हमने जिला एसपी से कार्रवाई की मांग की है."