Owaisi on Malegaon Blast Case Verdict: एआईएमआईएम चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने मालेगांव ब्लास्ट मामले में बयान दिया है. उन्होंने कहा है कि जो लोग इस हमले में मरे उन्हें धर्म के आधार पर निशाना बनाया गया था. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि क्या अब इस फैसले के खिलाफ सरकार हाई कोर्ट का रुख करेगी. उन्होंने ये बात मुंबई ब्लास्ट मामले में हाई कोर्ट के फैसले पर कही, जिसमें महाराष्ट्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था.
1. मालेगांव विस्फोट मामले का फैसला निराशाजनक है. विस्फोट में छह नमाजी मारे गए और लगभग 100 घायल हुए थे. उन्हें उनके धर्म के कारण निशाना बनाया गया. जानबूझकर की गई घटिया जांच/अभियोजन पक्ष ही बरी होने के लिए ज़िम्मेदार है.
2. विस्फोट के 17 साल बाद, अदालत ने सबूतों के अभाव में सभी आरोपियों को बरी कर दिया है. क्या मोदी और फडणवीस सरकारें इस फैसले के खिलाफ अपील करेंगी, जिस तरह उन्होंने मुंबई ट्रेन विस्फोटों में आरोपियों को बरी करने पर रोक लगाने की मांग की थी? क्या महाराष्ट्र के "धर्मनिरपेक्ष" राजनीतिक दल जवाबदेही की मांग करेंगे? उन छह लोगों की हत्या किसने की?
3. याद कीजिए, 2016 में मामले की तत्कालीन अभियोजक रोहिणी सालियान ने पब्लिकली कहा था कि एनआईए ने उनसे आरोपियों के प्रति 'नरम रुख' अपनाने को कहा था. याद कीजिए, 2017 में, एनआईए ने साध्वी प्रज्ञा को बरी करवाने की कोशिश की थी. वही व्यक्ति 2019 में भाजपा सांसद बना.
4. करकरे ने मालेगांव में हुई साज़िश का पर्दाफ़ाश किया था और दुर्भाग्य से 26/11 के हमलों में पाकिस्तानी आतंकवादियों ने उन्हें मार डाला. भाजपा सांसद ने सार्वजनिक रूप से कहा कि उन्होंने करकरे को श्राप दिया था और उनकी मृत्यु उसी श्राप का परिणाम थी.
5. क्या एनआईए/एटीएस अधिकारियों को उनकी दोषपूर्ण जांच के लिए जवाबदेह ठहराया जाएगा? मुझे लगता है कि हम इसका उत्तर जानते हैं. यह आतंकवाद के ख़िलाफ़ सख़्त मोदी सरकार है. दुनिया याद रखेगी कि उसने एक आतंकवाद के आरोपी को सांसद बनाया था.
मालेगांव ब्लास्ट केस में एनआईए कोर्ट ने कहा कि आरोपियों के खिलाफ पुख्ता सबूत नहीं है, इसके साथ ही जिस बाइक में बम प्लांट किया गया था उसमें आरडीएक्स होने के कोई सबूत नहीं मिले हैं. इसके साथ ही साजिश के आरोप भी कोर्ट ने नकार दिया है.