Shahi Eidgah Masjid Controversy: इलाहाबाद हाईकोर्ट में मंगलवार (7 मई) शाही ईदगाह मस्जिद विवाद पर सुनवाई हुई. सुनवाई के दौरान वादी की तरफ एडवोकेट रैना एन सिंह ने पक्ष रखते हुए मामले में राधा रानी को पक्षकार बनाने की मांग की. कोर्ट के सामने इसके लिए उन्होंने धार्मिक ग्रंथों का हवाला दिया. हालांकि मस्जिद पक्ष ने इस पर ऐतराज जताया. इस मामले में अब अगली सुनवाई 23 मई को होगी.
हिंदू पक्षकार ने मंगलवार को हुई सुनवाई के दौरान शाही ईदगाह मस्जिद को एक फिर विवादित ढांचा घोषित किए जाने की मांग की. हालांकि, दूसरी तरफ हिंदू पक्ष राधा रानी को पक्षकार बनाए जाने के मामले में एकमत नहीं दिखा.
जस्टिस राम मनोहर नारायण मिश्रा की सिंगल बेंच के सामने एडवोकेट रैना एन सिंह ने राधा रानी को पक्षकार बनाने की मांग की. इसके उलट अजय प्रताप सिंह समेत अन्य ने इसे गैर-मुनासिब बताया. कोर्ट से उन्होंने राधा रानी को पक्षकार बनाए जाने पर आपत्ति दाखिले करने के लिए समय मांग देने की मांग की.
कोर्ट से अजय प्रताप सिंह और अन्य ने अनुरोध किया पहले मुकदमा नंबर-1 पर भगवान की ओर से नियुक्त मिकस क्यूरी को हटाने संबंधी याचिका पर फैसला लिया जाए. मस्जिद कमेटी ने केस नंबर 1 और 16 में अतिरिक्त जवाबी हलफनामा दाखिल करने के लिए समय मांगा.
इसी तरह अन्य संबंधित मामलों में भी पक्षकारों ने जवाब दाखिल करने के लिए समय की मांग की. इसमें उन्होंने तर्क दिया कि सुप्रीम कोर्ट में अलग-अलग आदेशों के खिलाफ याचिकाएं लंबित हैं, इसलिए जब तक सर्वोच्च न्यायिक संस्था का आदेश नहीं आ जाता है, तब तक के लिए सुनवाई स्थगित कर दी जाए.
केस नंबर 13 में अधिवक्ता महेंद्र प्रताप सिंह ने मस्जिद कमेटी की आपत्तियों का जवाब देते हुए मस्जिद को 'विवादित ढांचा' घोषित करने की मांग दोहराई और इसके लिए उन्होंने एक हलफनामा दाखिल किया. उन्होंने कहा कि 'विवादित ढांचा' जैसे शब्दों का इस्तेमाल जरूरी है ताकि न्यायिक रिकॉर्ड में निष्पक्षता बनी रहे.
गौरतलब है कि मंदिर पक्ष की ओर से मथुरा की शाही ईदगाह मस्जिद को हटाने, मंदिर की पुनर्स्थापना और स्थायी निषेधाज्ञा के जरिए भूमि पर अधिकार की मांग को लेकर अब तक 18 केस फाइल किए जा चुके हैं. हाईकोर्ट में इन दीवानी मुकदमों पर एक साथ सुनवाई चल रही है.
मथुरा में कटरा केशव देव क्षेत्र को भगवान श्रीकृष्ण का जन्मस्थान माना जाता है. इसी परिसर से सटी हुई है शाही ईदगाह मस्जिद को लेकर विवाद खड़ा है. हिंदू पक्ष का दावा है कि श्रीकृष्ण के वास्तविक जन्मस्थान की 13.37 एकड़ भूमि पर अवैध रूप से यह मस्जिद बनाई गई है.
विवाद की जड़ 1968 के उस समझौते में है जो श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संघ और शाही ईदगाह मस्जिद ट्रस्ट के बीच हुआ था. याचिकाकर्ताओं का कहना है कि यह समझौता अवैध है और इसे निरस्त किया जाए.
उनकी मांग है कि जन्मभूमि की पूरी जमीन श्रीकृष्ण को सौंपी जाए, मुसलमानों के एंट्री पर रोक लगाई जाए और मस्जिद के मौजूदा ढांचे को हटाया जाए. अब जिला अदालत ने सिविल कोर्ट को मामले की सुनवाई का आदेश दिया है.