Waqf Amendment Act 2025: केंद्र की मोदी सरकार ने बीते माह से देशभर संशोधित वक्फ कानून लागू किया. हालांकि, वक्फ कानून के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में 70 से ज्यादा याचिकाएं डाली गई हैं और कोर्ट ने सुनवाई के बाद इसके कुछ प्रावधानों पर अंतरिम रोक लगा दी है. इस कानून के खिलाफ देशभर में विरोध हो रहा है, इसके बावजूद संशोधित वक्फ कानून को लेकर मोदी सरकार एक्शन मोड में हैं.
इसी क्रम में एनडीए की अगुवाई बीजेपी सरकार वक्फ संपत्तियों के रख रखाव को लेकर 6 जून से 'उम्मीद' वक्फ पोर्टल लॉन्च करेगी. सरकार का दावा है कि इसके माध्यम से वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन और कामों में पारदर्शिता आएगी. इस पोर्टल के माध्यम से देश के सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में मौजूद वक्फ संपत्तियों का रजिस्ट्रेशन किया जाएगा.
मोदी सरकार वक्फ संपत्तियों के रखरखाव के लिए जिस 'उम्मीद' पोर्टल को लॉन्च करने जा रही है, उसका एक विशेष अर्थ है. 'उम्मीद' का पूरा अर्थ है, Unified Waqf Management, Empowerment, Efficiency and Development यानी एकीकृत वक्फ प्रबंधन, सशक्तिकरण, दक्षता और विकास.
इस पोर्टल के जरिए देशभर की वक्फ संपत्तियों का डिजिटल रजिस्ट्रेशन किया जाएगा. सरकार ने सभी वक्फ संपत्तियों को 6 महीने के भीतर रजिस्ट्रेशन कराना अनिवार्य कर दिया है. रजिस्ट्रेशन में हर संपत्ति की लंबाई, चौड़ाई और अन्य विवरण की जानकारी देनी होगी. साथ ही सभी संपत्तियों की जियो टैगिंग भी जरूरी होगी.
अगर कोई संपत्ति तकनीकी वजहों से तय समय पर दर्ज नहीं हो पाती है, तो 1 से 2 महीने का अतिरिक्त समय दिया जा सकता है. रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया राज्य वक्फ बोर्ड के माध्यम से पूरी की जाएगी.
इसी तरह अगर कोई संपत्ति निर्धारित समय में रजिस्टर्ड नहीं होती, तो उसे विवादित माना जाएगा और मामला वक्फ ट्रिब्यूनल को भेजा जाएगा. खास बात यह है कि महिलाओं के नाम दर्ज संपत्तियों को वक्फ घोषित नहीं किया जा सकेगा. सरकार का कहना है कि वक्फ संपत्तियों की लाभार्थी महिलाएं, बच्चे और गरीब वर्ग होंगे.
बता दें, बीते अप्रैल माह में केंद्र सरकार ने वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में पारदर्शिता लाने और दुरुपयोग रोकने का दावा करते हुए उद्देश्य से वक्फ (संशोधन) कानून को अंतिम मंजूरी दे दी है. इस बिल पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के हस्ताक्षर के बाद कानून बन गया. केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने बताया कि यह कानून वक्फ संपत्तियों में पक्षपात, अतिक्रमण और अनियमितताओं पर रोक लगाएगा.
यह विधेयक लोकसभा में 2 अप्रैल की आधी रात पारित हुआ था, जिसमें 288 सांसदों ने समर्थन और 232 ने विरोध किया था. इसी तरह राज्यसभा में इसे 3 अप्रैल को 128 वोटों के समर्थन मिला था और 95 वोट विरोध में पड़े थे. केंद्र से इस कानून के लागू होने के बाद देशभर विरोध शुरू हो गया. इसके खिलाफ सामाजिक और मुस्लिम संगठनों और सियासी दलों समेत कुल 70 से ज्यादा लोगों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल और इस पर रोक लगाने की मांग की.