MP News: मध्य प्रदेश के सीएम का कहना है कि वह ऐसा प्रावधान लेकर आ रहे हैं, जिससे अगर कोई धर्मांतरण के मामले में दोषी पाया जाता है तो उसे फांसी की सजा होगी. उनके इस ऐलान के बाद काफी विवाद होना शुरू हो गया है. धर्मगुरुओं ने इसे सिरे से नकार दिया है, वहीं कुछ लोग इसके समर्थन में भी दिख रहे हैं.
रतलाम में ईसाई समाज ,मुस्लिम समाज की और से इस फांसी सज़ा को नकारा है तो वहीं हिंदू समाज से महामहंडलेश्वर हो या आम नागरिक इस पर सहमति का इजहार किया है. इस मामले में मुस्लिम समाज के चीफ काजी सैय्यद अली का बयान आया है. उन्होंने इसे एक तुगलकी फरमान बताया है. उनका कहना है कि यह संविधान के साथ खिलवाड़ करने की तरह है, क्योंकि यह हमें इजाजत देता है कि हम किस धर्म को माने या न किसी भी धर्म को न माने.
वहीं, फादर जोसेफ मैकडोनाल्ड ने कहा है कि यह फैसला सही नहीं है. ईसाई धर्म का मकसद केवल यीशु को पहचानना है. यहां धर्म परिवर्तन नहीं होता है, यहां मन परिवर्तन होता है. जो मोहन यादव ने कहा कि धर्म परिवर्तन कराने वालों को फांसी, ऐसा कानून न कभी बना था और न ही कभी बनेगा. धर्मांतरण के लिए किसी को फांसी देना सही नहीं है.
हिन्दू पक्ष की बात करे तो महामंडलेश्वर स्वामी देव् स्वरूपनंद ने कहा कि हम फांसी की सजा का समर्थन करते हैं क्यों धर्मांतरण हिंदू सनातनियों का होता है. यह कानून आना चाहिए. वहीं हिंदू समाज ने भी इस कानून का समर्थन किया है. उन्होंने कहा कि यह फैसला जरूरी है. मुसलमान भारत छोड़कर किसी भी देश में जा सकते हैं, लेकिन हिंदू कितना भी परेशान हो जाए वह हिंदुस्तान छोड़कर नहीं जा सकता है.
भारत में कुछ खास गंभीर मामलों में सजा-ए-मौत का प्रावधान किया गया है. जिसमें किसी शख्स की हत्या, बलात्कार के दौरान पीड़िता के मौत, या फिर गंभीर चोटें, नाबालिग के साथ रेप, देश के खिलाफ जंग छेड़ना, किडनैपिंग के दौरान हत्या, आतंकवादी गतिविधियों में शामिल होने, बम विस्फोट करने या बड़े पैमाने पर जनहानि पहुंचाने पर मौत की सज़ा का प्रावधान है.
भारत में सजा-ए-मौत को देने से पहले सुप्रीम कोर्ट ने "Rarest of the Rare" सिद्धांत अपनाया है. इसका मतलब है कि मृत्युदंड केवल उन्हीं मामलों में दिया जाएगा जहां अपराध बहुत ही क्रूर, अमानवीय और समाज के लिए घातक हो. हालांकि, भारत में मृत्युदंड दिया जाता है, लेकिन इसे बहुत ही दुर्लभ मामलों में लागू किया जाता है। कई मामलों में, यदि आरोपी सुधार की संभावना दिखाता है, तो उसकी सजा को आजीवन कारावास में बदला जा सकता है.