Malegaon Blast Case: महाराष्ट्र में साल 2008 में मालेगांव बम विस्फोट की घटना सामने आई थी. इस घटना में 6 लोगों की मौत हो गई थी, जबकि सौ से ज्यादा घायल हुए थे. अब मालेगांव केस की सुनवाई 17 साल बाद शनिवार (19 अप्रैल) को एनआईए कोर्ट में पूरी हो गई. इस मामले में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) की विशेष अदालत ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है.
अदालत ने मामले में सभी पक्षों की दलीलों, गवाहों के बयानों और सबूतों की सावधानीपूर्वक समीक्षा की. अभियोजन और बचाव पक्ष ने अपनी अंतिम दलीलें पूरी कीं. जिसके बाद अदालत ने अपना फैसला सुनाने के लिए मोहलत मांगी. सुनवाई के दौरान अभियोजन पक्ष ने मामले की सुनवाई के आखिर में कुछ लिखित दलीलें पेश कीं, जिसके बाद विशेष न्यायाधीश एके लाहोटी ने केस की सुनवाई 8 मई तक के लिए स्थगित कर दी.
मुकदमे के दौरान अभियोजन पक्ष ने 323 गवाहों से जिरह की, जिनमें से 34 मुकर गए. एनआईए ने साल 2016 में पूरे मामले में कोर्ट में चार्जशीट दाखिल की थी, जिसमें प्रज्ञा सिंह ठाकुर समेत तीन अन्य आरोपी श्याम साहू, प्रवीण टाकलकी और शिवनारायण कलसांगरा को क्लीन चिट दे दी.एनआईए ने भले ही प्रवीण टाकलकी और शिवनारायण कलसांगरा को क्लीन चिट दे दी, लेकिन बीजेपी नेता और पूर्व सांसद साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर को मुकदमे का सामना करने का फैसला सुनाया.
इससे पहले अभियोजन पक्ष ने शनिवार को अपनी मालेगांव केस में अपनी आखिरी दलील लिखित में पेश की, जिसके बाद अब इस मामले में अगली सुनवाई अगले माह 8 मई को होगी. इस मामले में कुल सात आरोपियों पर जिनमें लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित, भाजपा सांसद प्रज्ञा ठाकुर, मेजर रमेश उपाध्याय (रिटायर्ड), अजय राहिरकर, सुधाकर द्विवेदी, सुधाकर चतुर्वेदी और समीर कुलकर्णी पर यूएपीए और आईपीसी की धाराओं के तहत मुकदमा चलाया गया है.
दरअसल, महाराष्ट्र के नासिक जिले के मालेगांव में 29 सितंबर 2008 को एक मस्जिद के पास बम धमाका हुआ था. आतंकवादियों ने विस्फोटक को एक मोटरसाइकिल से बांधकर रखा था, इस विस्फोट में 6 लोगों की मौत और 100 से ज्यादा लोग घायल हो गए थे. इस घटना से पूरे देश में दहशत फैल गई थी. शुरुआत में इस मामले की जांच एटीएस ने की थी, लेकिन साल 2011 में जांच को एनआईए को सौंप दिया गया.