Mumbai News Today: मुंबई की एक स्टार्टअप कंपनी जाबी (Jobee) ने एक उम्मीदवार को 22 लाख रुपये का सालाना नौकरी की पेशकश की, लेकिन कंपनी ने उस उम्मीदवार से बेशकीमती ऑफर वापस ले लिया. जाबी कंपनी की तरफ से जारी बयान में बताया गया कि उस शख्स ने सोशल मीडिया पर एक धर्म विशेष के खिलाफ आपत्तिजनक और नफरत भरी बातें लिखी थीं.
जाबी के संस्थापक मुहम्मद अहमद भाटी ने इस फैसले की जानकारी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म लिंक्डइन पर शेयर की, जो अब तेजी से वायरल हो रही है. अहमद भाटी ने बताया कि वह उस उम्मीदवार के इंटरव्यू से बेहद प्रभावित थे. इतना ही नहीं उन्होंने उम्मीदवार को कंपनी के तय बजट से ज्यादा सैलरी देने का भी फैसला कर लिया था.
मुहम्मद अहमद भाटी ने आगे बताया कि जब उम्मीदवार का बैकग्राउंड खंगाला गया तो पता चला कि उस शख्स ने हाल के दिनों में धार्मिक आधार पर एक समुदाय के खिलाफ भड़काऊ और अपमानजक पोस्ट लिखी थीं. अहमद भाटी ने लिखा, "कोई भी शख्स अपने काम में कितना भी माहिर क्यों न हो, लेकिन हमारे लिए सम्मान और शराफत ज्यादा जरूरी है."
नौजवानों को नसीहत देते हुए जाबी के संस्थापक ने अपनी पोस्ट में लिखा, "काबिलियत आपको नौकरी या कामयाबी के दरवाजे तक पहुंचा सकती है, लेकिन आपकी सोच और मूल्य यह तय करते हैं कि आप उस जगह टिक पाएंगे या नहीं." उम्मीदवार को भेजे गए मैसेज में भी भाटी ने साफ तौर पर कहा, "हम अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का सम्मान करते हैं, लेकिन यह स्वतंत्रता जिम्मेदारी के साथ होनी चाहिए."
अहमद भाटी ने बताया कि उनकी टीम धार्मिक और सांस्कृतिक रूप से काफी समृद्ध और विविध है. उन्होंने कहा कि वह खुद एक मुसलमान हैं, उनके को-फाउंडर ईसाई हैं. इसी तरह कंपनी निवेशक और सलाहकार जैन हैं और टीम के ज्यादातर सदस्य हिंदू हैं. ऐसे में कंपनी किसी भी तरह की नफरत को अपने वर्कप्लेस से दूर रखना चाहती है.
एक काबिल और अहल उम्मीदवार को इस तरह से जॉब न देने के जाबी के संस्थापक मुहम्मद अहमद भाटी के फैसले पर लोगों की मिली जुली प्रतिक्रिया मिल रही है. जहां एक ओर कई लोगों ने तकनीकी स्किल से ज्यादा इंसानी मूल्यों को तवज्जो देने के लिए अहमद भाटी की जमकर तारीफ कर रहे हैं. वहीं कुछ लोगों ने सवाल उठाए कि क्या किसी के पुराने सोशल मीडिया पोस्ट की वजह से नौकरी का ऑफर रद्द करना जायज है.