Mumbai Train Blasts: महाराष्ट्र के जलगांव के रहने वाले असिफ़ खान उन 12 लोगों में शामिल हैं जिन्हें बॉम्बे हाईकोर्ट ने 2006 के मुंबई लोकल ट्रेन ब्लास्ट के में सोमवार को बरी किया है. असिफ खान को 19 साल जेल में बिताने के बाद अब अपने परिवार के पास लौटने की इजाज़त मिली है. परिवार में खुशी का माहौल है, लेकिन साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि न्याय तो मिला, लेकिन बहुत देर से.'
असिफ़ की पत्नी निशात असिफ खान ने समाचार एजेंसी ANI से बातचीत में कहा,"मैं बहुत खुश हूं कि हमें इंसाफ मिला, लेकिन यह बहुत देर से मिला. हमारी आधी ज़िंदगी निकल गई. अब उसकी भरपाई कौन करेगा? हमने बहुत मुश्किलों का सामना किया है."
उन्होंने बताया कि जब पुलिस ने उनके पति को गिरफ्तार किया था, तब उनकी छोटी बेटी की उम्र सिर्फ दो साल थी, दूसरी बेटी चार साल की थी और सबसे बड़ा बेटा आठ साल का था. उन्होंने कहा कि एक पिता की कमी कोई पूरा नहीं कर सकता. जब ब्लास्ट हुआ था, तब हमारे बेटे ने उन्हें फोन किया और उन्होंने कहा था मैं बस घर आ रहा हूं. तब हम सब मुंबई में एक साथ रहते थे. उन्हें झूठे आरोपों में फंसाया गया था. अब वो कल सुबह घर आएंगे.
असिफ खान की मां हुस्ना बानो बशीर खान ने कहा कि उनके मासूम बेटे को बहुत देर से इंसाफ मिला. वह कहती हैं,"हम बहुत खुश हैं कि वह इज्ज़त के साथ बरी हुए. लेकिन, इंसाफ बहुत देर से मिला. मेरा बच्चा बेगुनाह था. पिछले 19 साल बहुत तकलीफ़ में बीते. उसके पिता 14 साल पहले इंतजार करते-करते इस ग़म में दुनिया छोड़ गए. जो साल उसके जीवन से छिन गए, वो कभी वापस नहीं आएंगे."
उन्होंने यह भी बताया कि परिवार की आर्थिक हालत इतनी खराब थी कि वे बार-बार जेल जाकर उनसे मिल भी नहीं पाए. उन्होंने बताया,"हमने पिछले 5-6 साल पहले ही उन्हें देखा था. जब मिल पाते थे, तो सिर्फ 20 मिनट बात करने की इजाज़त मिलती थी."
गौरतलब है कि बॉम्बे हाईकोर्ट ने सोमवार को अपने फैसले में कहा था कि महाराष्ट्र एंटी टेररिज़्म स्क्वॉड (ATS) आरोपों को यथोचित प्रमाण के साथ साबित नहीं कर पाई, इसलिए 12 आरोपियों को बरी किया जाता है.
हाईकोर्ट ने सितंबर 2015 में MCOCA कोर्ट के जरिए दिए गए फैसले को रद्द कर दिया, जिसमें पांच आरोपियों को फांसी और बाकी सात को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी. हालांकि, इस फैसले को महाराष्ट्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है.
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने मंगलवार को पीठ के सामने याचिका का ज़िक्र किया और इस पर जल्द से जल्द सुनवाई की मांग की. सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका पर गुरुवार, 24 जुलाई को सुनवाई तय की है.