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रोजे वाले हाथों ने थामा भोले का दामन; सहारनपुर में मुस्लिम कारीगर बना रहे कांवड़ियों की ड्रेस

Hindu Muslim Unity: हालिया कुछ सालों में मुसलमानों को उनके मजहब के नाम पर लगातार निशाना बनाया जा रहा है. इस बीच सहरानपुर से एक मंजर सामने आया है, जिसकी लोग खूब तारीफ कर रहे हैं. जहां पवित्र कांवड़ यात्रा और भगवान भोले के लिए मुस्लिम समाज के लोग ड्रेस तैयार कर रहे हैं.  

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रोजे वाले हाथों ने थामा भोले का दामन; सहारनपुर में मुस्लिम कारीगर बना रहे कांवड़ियों की ड्रेस
Raihan Shahid|Updated: Jul 02, 2025, 10:51 PM IST
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Saharanpur News Today: कहते हैं भारत विविधताओं का देश है, यहां पर महज कुछ किलोमीटर के फासले पर मौसम, भाषा, खान-पान और रहन-सहन बदल जाता है. यहां के एकतान की मिसाल पूरी दुनिया में दी जाती है. हालांकि, हालिया कुछ सालों से सियासी फायदे के लिए असमाजिक तत्व लगातार समाज में सांप्रदियकता फैला रहे हैं और समुदायों को एक दूसरे से दूर करने के कोशिश में लगे हैं.

साजिशों के बावजूद सांप्रदायिकों ताकतों को हमेशा मुंह की खानी पड़ती है. ऐसी ही एकता और गंगा जमुनी तहजीब की मिसाल उत्तर प्रदेश के सहारनपुर जिले में देखने को मिली. यहां मुस्लिम कारीगर सावन के महीने में कांवड़ यात्रा के लिए कांवड़ियों की ड्रेस तैयार कर रहे हैं. इन ड्रेसों की सप्लाई पड़ोसी राज्य उत्तराखंड, हरियाणा, राजस्थान समते कई अन्य राज्यों में की जा रही है.

होज़री फैक्ट्री चलाने वाले फरमान अहमद ने बताया कि उनकी यूनिट में पिछले कई सालों से सावन के लिए ड्रेस बनाई जा रही हैं. उन्होंने कहा, "हम 12 साल से कांवड़ियों की ड्रेस बना रहे हैं. हमें यह काम करते हुए फख्र होता है कि हम भोलेनाथ की सेवा में शामिल हो पा रहे हैं. हमने कभी किसी से कोई शिकायत या फतवा नहीं सुना और ना ही किसी ने आपत्ति की है."

फरमान ने बताया कि उनकी फैक्ट्री में करीब 12 अलग-अलग रंगों की ड्रेस तैयार की जाती हैं और 11 जुलाई से शुरू हो रहे सावन के लिए माल की डिमांड अभी से बहुत ज्यादा है. उन्होंने यह भी बताया कि उनकी समिति चार राज्यों में ये ड्रेस सप्लाई कर रही है.

वहीं, कारीगर वाजिद ने बताया कि वे खुद ड्रेस की कटिंग और डिजाइनिंग का काम करते हैं. उन्होंने कहा, "हम कई सालों से महाकाल और कांवड़ियों की ड्रेस बना रहे हैं. इस वक्त हम रोज़ाना हजारों की संख्या में ड्रेस तैयार कर रहे हैं. डिमांड बहुत ज्यादा है और हम पूरी मेहनत से इस काम को अंजाम दे रहे हैं."

इस तरह सहारनपुर में मजहब की दीवारों को तोड़ते हुए मुस्लिम कारीगर एक ऐसी मिसाल कायम कर रहे हैं जो सांप्रदायिक सौहार्द और एकता की भावना को और मजबूत बनाती है. यह उदाहरण बताता है कि आस्था और इंसानियत किसी एक धर्म की बंधक नहीं, बल्कि यह सभी की साझी विरासत है और वह भी ऐसे समय में जब मुसलमानों को लगातार उनके मजहब के नाम पर निशाना बनाया जा रहा है. 

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