नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश के कानपुर में नगर निगम ने मुस्लिम कर्मचारियों को रमजान का एक तोहफा दिया है, जो विवादों में घिरता दिख रहा है. हिन्दू कर्मचारी इसपर सवाल उठा रहे हैं.
दरअसल, कानपुर में नगर निगम ने मुस्लिम कर्मचारियों को रमजान का एक तोहफा देते हुए पूरे रमजान माह में वक़्त से1 घंटे पहले छुट्टी देने का एक आर्डर पास किया है.
उत्तर प्रदेश नगर निगम में पहली बार इस व्यवस्था को लागू किया जा रहा है. मुस्लिम मुलाजिमों के लिए बायोमैट्रिक अटेंडेंस में भी छूट की व्यवस्था कर दी गई है. एक घंटा पहले छुट्टी होने से रोजा रखने वाले मुस्लिम मुलाजिम वक़्त पर अपने घर पहुंचकर रोजा-इफ्तार और अपने धार्मिक गतिविधियों को अंजाम दे सकेंगे.
विरोध में उतरे हिन्दू कर्मचारी
एक तरफ मुस्लिम मुलाजिम जहाँ इस व्यवस्था से खुश नजर आ रहे हैं, वहीँ इसका विरोध भी होना शुरू हो गया है.हिंदू पार्षदों का कहना है कि ऐसी ही व्यवस्था नवरात्रों में भी लागू की जानी चाहिए. हिन्दुओं के कई पर्व होते हैं, जिसमें वो उपवास करते हैं. इसलिए उन्हें भी ये सुविधा मिलनी चाहिए. उनका कहना है कि रमजान में इस तरीके की व्यवस्था लागू करने से कर्मचारियों के बीच भेदभाव बढ़ेगा. पार्षदों का कहना है कि इससे पहले कभी भी रमजान महीने में इस तरीके की व्यवस्था नहीं लागू की गई है. रमजान में अगर एक घंटा पहले मुस्लिम मुलाजिम को छुट्टी दी जा रही है तो हिंदुओं के पवित्र व्रत के मौके पर भी ऐसा किया जाना चाहिए.
नगर आयुक्त ने क्या कहा ?
वहीँ, नगर आयुक्त का कहना है कि यह व्यवस्था पहले से चली आ रही है, इसमें नया कोई आदेश नहीं दिया गया है. बस इस बार लोग विरोध पर उतर गए हैं.
गौरतलब है कि इतवार से रमजान माह के रोज़े की शुरुआत होने वाली है. मुस्लिम समुदाय के लोग रमजान के इस पाक महीने में रोजा रखते हैं, जिसमें शाम को इफ्तारी के साथ सामूहिक नमाज़ का एहतमाम किया जाता है.
आन्ध्र प्रदेश और तेलंगाना में नियम लागू
इससे पहले तेलंगाना में कांग्रेस सरकार ने मुस्लिम मुलाजिमों को वक़्त से एक घंटा पहले छुट्टी देने का ऐलान किया था, जिसका वहां की विपक्षी भाजपा ने विरोध करते हुए कहा था कि कांग्रेस का ये मुस्लिम तुष्टिकरण वाल फैसला है. इसके बाद आन्ध्र प्रदेश ने भी मुस्लिम कर्मचारियों को एक घंटा पहले छुट्टी देने का ऐलान कर दिया, जहाँ TDP के साथ भाजपा सत्ता में हैं और केंद्र सरकार में भी दोनों सहयोगी हैं. आन्ध्र में इस तरह की घोषणा के बाद भाजपा ने इसका स्वागत किया था. लेकिन जब महाराष्ट्र में भी इस तरह की मांग उठी तो वहां की भाजपा गठबन्धन सरकार ने इस मांग को यह कहते हुए ख़ारिज कर दिया कि इससे गलत परम्परा को बढ़ावा मिलेगा.
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