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शाही जामा मस्जिद केस में मुस्लिम पक्ष को झटका; हाईकोर्ट ने सर्वे की राह की हटाई बाधा

Allahabad High Court on Shahi Jama Masjid: चंदौसी कोर्ट के आदेश पर संभल की ऐतिहासिक शाही जामा मस्जिद के सर्वे के दौरान 24 नवंबर 2024 को हिंसा भड़क गई थी. इस सर्वे आदेश को चुनौती देते हुए मस्जिद कमेटी ने इलाहाबाद हाईकोर्ट का रुख किया था. इस मामले में कोर्ट का बड़ा फैसला आया.    

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संभल शाही जामा मस्जिद सर्वे- फाइल फोटो
संभल शाही जामा मस्जिद सर्वे- फाइल फोटो
Raihan Shahid|Updated: Jul 03, 2025, 11:54 PM IST
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Sambhal Shahi Jama Masjid Dispute: उत्तर प्रदेश के संभल जनपद के चंदौसी क्षेत्र में स्थित शाही जामा मस्जिद को लेकर हिंदूवादी संगठन हरिहर मंदिर बता रहे हैं. इस बीच शाही जामा मस्जिद और हरिहर मंदिर के बीच लंबे समय से चला आ रहा भूमि विवाद एक बार फिर सुर्खियों में आ गया है. इस मामले में कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसला देते हुए ट्रायल कोर्ट के जरिये दिए गए सर्वे आदेश को वैध ठहराया है.

मुस्लिम पक्ष की याचिका को हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया है, जिससे अब क्षेत्र का दोबारा सर्वे कराने का रास्ता साफ हो गया है. कोर्ट ने इस मामले की अगली सुनवाई 21 जुलाई 2025 को तय की है. कोर्ट के इस फैसले से मुस्लिम समुदाय के साथ शांति और अमन पसंद लोगों को गहरा झटका लगा.

सर्वे के दौरान भड़क गई थी हिंसा

बता दें, शाही जामा मस्जिद को मंदिर का दावा करने वाले विवाद उस समय सुर्खियों में आ गया, जब कोर्ट के आदेश पर दूसरी बार सर्वे की कार्रवाई के दौरान इलाके में भारी भीड़ जमा हो गई थी. अचानक यहां हिंसा भड़क गई. इस हिंसा में पांच लोगों की दर्दनाक मौत हो गई थी. जबकि कई पुलिसकर्मी गंभीर रुप से घायल हो गए थे. इस घटना के बाद पुलिस ने 96 आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल भेज चुकी है.

इसके अलावा 2,750 अज्ञात लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है. जांच के लिए गठित एसआईटी ने इस मामले में 1,100 पन्नों की चार्जशीट कोर्ट में दाखिल की है. इस चार्जशीट में कुल 22 लोगों को नामजद आरोपी बनाया गया है. समाजवादी पार्टी के सांसद जियाउर्रहमान बर्क को इस मामले में मुख्य आरोपी बनाया गया है, जबकि सुहैल इकबाल को चार्जशीट से बाहर रखा गया है.

पुलिस प्रशासन सतर्क

विवाद की संवेदनशीलता को देखते हुए प्रशासन और पुलिस लगातार सतर्कता बरत रही. वहीं शाही जामा मस्जिद को लेकर कोर्ट के आगामी आदेश के तहत सर्वे की तैयारियां चल रही हैं, जिससे पूरी प्रक्रिया को शांतिपूर्ण और निष्पक्ष ढंग से पूरी की जा सके. यह मामला धार्मिक और सामाजिक दृष्टिकोण से बहुत संवेदनशील है, यही वजह है कि जिला प्रशासन मामले को लेकर कोई कोताही बरतने के मूड में नहीं है. अब इस मामले को लेकर आगे होने वाली कोर्ट की सुनवाई और सर्वे की प्रक्रिया पर सभी की निगाहें टिकी हुई हैं.

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