Patna News Today: संसोधित वक्फ कानू को लेकर विरोध का दौर तेज हो रहा है. पटना के गांधी मैदान में इतवार (29 जून) को 'वक्फ बचाओ-संविधान बचाओ' सम्मेलन का आयोजन किया गया. इसमें बिहार, झारखंड, उड़ीसा और बंगाल से हजारों की संख्या में लोग शामिल हुए. सम्मेलन का आयोजन इमारत-ए-शरिया, ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड और कई अन्य संगठनों की ओर से किया गया.
आयोजकों का दावा है कि इस ऐतिहासिक सम्मेलन में पांच लाख से अधिक लोगों ने हिस्सा लिया .हालांकि, पुलिस प्रशासन संशोधित वक्फ कानून के खिलाफ के प्रदर्शन को नाकाम बताने की कोशिश में जुटा है, इस सम्मेलन में आने वाली भीड़ की संख्या एक लाख के आसपास होने का दावा किया है. इस सम्मेलन में शामिल लोगों ने नए वक्फ कानून के कई प्रावधानों पर कड़ा ऐतराज जताया है.
इस कार्यक्रम का मकसद संशोधित वक्फ कानून के विरोध में आवाज उठाना और देश के सबसे बड़े अल्पसंख्यकों में शामिल मुसलमानों के संवैधानिक अधिकारों की रक्षा की अपील करना है. गांधी मैदान के सभी गेट लोगों के लिए खोले दिए गए और सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए है. मैदान के भीतर और बाहर करीब 250 पुलिसकर्मी तैनात किए गए हैं, जबकि सीसीटीवी कैमरों और ड्रोन के जरिए निगरानी रखी जा रही है.
सम्मेलन में सिर्फ मुस्लिम समाज के लोगों को आमंत्रित किया गया है. किसी भी सियासी दल के नेता को मंच पर जगह नहीं दी गई, ताकि यह आयोजन पूरी तरह गैर-राजनीतिक और सामाजिक स्वरूप में बना रहे. एनडीए की अगुवाई वाली बीजेपी सरकार के जरिये लगातार मुसलमानों को निशाना बनाए जाने और धार्मिक संपत्तियों की सुरक्षा को लेकर एकजुटता दिखाते हुए एक संदेश देने की कोशिश की गई.
बता दें, बीते माह 3 अप्रैल को मोदी सरकार ने संसद के निचल सदन में विवादित वक्फ कानून पेश किया था, इस बिल के पक्ष में 288 और विरोध में 232 वोट पड़े थे. इसके अगले दिन यानी 4 अप्रैल को मोदी सरकार ने वक्फ कानून को राज्यसभा में पेश किया. कई घंटों तक चली मैराथन बहस और बिल को रोकने के लिए मजबूत तर्कों के बावजूद यह पारित हो गया. राज्यसभा में इस बिल के पक्ष में 128 वोट और विरोध में 95 वोट पड़े.
केंद्र की एनडीए सरकार को इस विवादित बिल को कानून बनाने की इतनी जल्दी थी कि इसके अगले दिन राष्ट्रपति के पास भेज दिया. आखिरकार राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की मंजूरी के बाद संशोधित वक्फ कानून देशभर में लागू हो गया. वक्फ कानून के खिलाफ देशभर से 70 से ज्यादा याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में डाली गई हैं, जिस पर सुनवाई जारी है. फिलहाल सुप्रीम कोर्ट इस कानून पर अंतरिम रोक लगा दी है.