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Uttarakhand: धामी सरकार के फरमान के खिलाफ मुसलमानों ने भरी हुंकार; कहा- 'स्कूल में गीता पढ़ सकते हैं तो...'

Bhagavad Gita in Uttarakhand School: उत्तराखंड सरकार ने स्कूलों में श्रीमद्भगवद्गीता के श्लोक पढ़ाना अनिवार्य कर दिया है, जिससे मुस्लिम समुदाय में बेचैनी है. कई मुस्लिम इसे सियासी कदम बताकर विरोध कर रहे हैं. हालांकि, उत्तराखंड मदरसा बोर्ड के अध्यक्ष मुफ्ती शमून काजमी ने इस फैसले का पुरजोर समर्थन किया है.   

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स्कूलों गीता पढ़ाने को लेकर विवाद गहराया
स्कूलों गीता पढ़ाने को लेकर विवाद गहराया
Raihan Shahid|Updated: Jul 16, 2025, 07:25 PM IST
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Uttarakhand News Today: उत्तराखंड की पुष्कर सिंह धामी सरकार ने बीते कुछ माह में बड़ी संख्या में मुस्लिम धार्मिक स्थलों और मदरसों के खिलाफ कार्रवाई की. इस कार्रवाई को लेकर धामी सरकार पर लगातार सवाल भी खड़े होते रहे हैं. वहीं, अब उत्तराखंड सरकार ने एक और आदेश देकर मुस्लिम समुदाय की बेचैनी बढ़ा दी है. इस आदेश के तहत अब उत्तराखंड के सभी स्कूलों में हर रोज श्रीमद्भगवद्गीता का श्लोक पढ़ना होगा. 

हालांकि, स्कूलों में श्रीमद्भगवद्गीता पढ़ाए जाने के आदेश का मुसलमानों के साथ दूसरे समुदाय के लोगों ने विरोध किया है. मुस्लिम समाज का कहना है कि उत्तराखंड की भारतीय जनता पार्टी की सरकार अपने सियासी फायदे और बहुसंख्यक समुदाय को खुश करने के लिए इस तरह के कदम उठा रही है. 

'गीता के साथ कुरआन पढ़ाने में ऐतराज क्यों?'

धामी सरकार को मुस्लिम समाज चेतावनी दी कि जरुरत पड़ने पर संवैधानिक तरीके वह इसके खिलाफ विरोध करेंगे. मुस्लिम समाज के लोगों ने कहा कि अगर उत्तराखंड के स्कूलों में श्रीमद्भगवद्गीता पढ़ाई जा सकती है, तो फिर राज्य के स्कूलों में कुरआन पढ़ाने में क्या ऐतराज है. दूसरी तरफ उत्तराखंड मदरसा बोर्ड के प्रदेश अध्यक्ष मुफ्ती शमून काजमी ने सरकार के इस फैसले का समर्थन किया है. 

शमून काजमी ने फैसले का किया स्वागत

मुफ्ती शमून काजमी ने इस पहल को उत्तराखंड के प्रगतिशील विकास की ओर एक महत्वपूर्ण कदम बताया. उन्होंने कहा, "खुशी की बात है कि विद्यालयों में पाठ्यक्रम के अंदर श्रीमद्भागवत गीता पढ़ाई जाएगी. श्री राम के जीवन से लोगों को परिचित कराना, श्री कृष्ण को लोगों तक पहुंचाना और हर भारतवासी का ये जानना बहुत जरूरी है. इससे लोगों के अंदर भाईचारा भी कायम होगी."

धामी सरकार के कसीदे पढ़ते हुए उत्तराखंड मदरसा बोर्ड के अध्यक्ष शमून काजमी ने आगे बताया कि इसी उद्देश्य से मदरसों में संस्कृत पढ़ाने के लिए संस्कृत विभाग से एमओयू करने का फैसला लिया गया है. मुफ्ती काजमी का मानना है कि इस तरह के फैसले से सांप्रदायिक सौहार्द मजबूत होगा और प्रदेश आगे बढ़ेगा. उन्होंने कहा, "जिन लोगों ने हमारे बीच दूरियां पैदा की हैं, वे दूर होंगी और हम मदरसों के बच्चों को भी इन चीजों से फायदा पहुंचा रहे हैं."

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