Nanded News Today: भारतयी जनता पार्टी (BJP) शासित राज्यों महाराष्ट्र, असम, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान और उत्तराखंड समेत कई अन्य प्रदेशों में लगातार मुसलमानों से जुड़े धार्मिक संस्थानों और शिक्षा केंद्रों को निशाना बनाया जा रहा है. इसी तरह का एक मामला नांदेड़ जिले से सामने आया है, जहां अब उर्दू भाषा को कथित तौर पर खत्म करने के आरोप लग रहे हैं.
मिली जानकारी के मुताबिक, नांदेड़ जिले में स्थित ऐतिहासिक किले के अंदर मौजूद नगर निगम उर्दू स्कूल नंबर 9 को हटाने की कथित साजिश का मामला तूल पकड़ता जा रहा है. बताया जा रहा है कि प्रशासन किले की दीवार की मरम्मत के नाम पर इस स्कूल को वहां से हटाना चाहता है. जैसे ही यह खबर फैली, वंचित बहुजन अघाड़ी के कार्यकर्ता और बच्चों के अभिभावक स्कूल पहुंच गए और इसका विरोध शुरू कर दिया.
हाल ही में नगर निगम के वरिष्ठ अधिकारियों और पुरातत्व विभाग के प्रतिनिधियों ने स्कूल का निरीक्षण किया था. अधिकारियों का कहना है कि उन्हें पुरातत्व विभाग से निर्देश मिल सकते हैं, लेकिन अभी कोई स्पष्ट फैसला नहीं लिया गया है. इस गैर यकीनी सूरतेहाल ने बच्चों और उनके अभिभावकों को परेशानी में डाल दिया है.
फिलहाल इस स्कूल में 100 से ज्यादा स्टूडेंट्स पढ़ाई करते हैं, इसके बावजूद यहां पर सिर्फ दो ही टीचर तैनात है. यहां पर लंबे समय से और टीचर को तैनात किए जाने मांग उठ रही थी. यह स्कूल पहले से ही बदहाल हालत में है, ऐसे में इसे हटाने की खबर से यहां पढ़ने वाले स्टूडेंट्स के भविष्य पर संकट मंडराने लगा है.
वंचित बहुजन अघाड़ी के राज्य उपाध्यक्ष फारूक अहमद, शहर अध्यक्ष विठ्ठल गायकवाड़ और अन्य नेताओं ने अभिभावकों के साथ स्कूल के प्रभारी मुस्तफा सर से मुलाकात की और स्थिति का जायजा लिया. इसके बाद एक प्रतिनिधिमंडल ने जिला कलेक्टर कार्यालय पहुंचकर एक ज्ञापन सौंपा और स्कूल को हटाने की प्रक्रिया पर तुरंत रोक लगाने की मांग की.
फारूक अहमद ने मीडिया से कहा, "तालीम पर बुलडोजर चलाना सीधे तौर पर पिछड़े वर्गों और अल्पसंख्यकों की जड़ों पर हमला है, जिसे किसी भी हाल में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा." उन्होंने कहा कि वंचित बहुजन अघाड़ी हर जरूरतमंद की आवाज बनेगा, चाहे मामला स्कूल का हो, जमीन का हो या तालीम के अधिकार से जुड़ा है. हम हर जगह मजबूती से खड़े लोगों के हक की आवाज बुलंद करेंगे.
स्कूल को हटाने की खबर से अभिभावकों में भारी बेचैनी है. कई बच्चों के वालिदैन ने कहा कि उनके बच्चे पहले ही सीमित संसाधनों में पढ़ाई कर रहे हैं, ऐसे में अगर स्कूल बंद हो गया तो उनका भविष्य अंधेरे में चला जाएगा. फिलहाल वंचित बहुजन अघाड़ी के हस्तक्षेप से स्कूल को कुछ समय का संरक्षण जरूर मिला है, लेकिन आगे की स्थिति अभी स्पष्ट नहीं है.