Pak News: बलूच राष्ट्रीय आंदोलन (बीएनएम) के मानवाधिकार संगठन पांक ने अपनी जून 2025 की रिपोर्ट में बलूचिस्तान में मानवाधिकार उल्लंघनों में चिंताजनक इजाफे की ओर ध्यान खीचा है. रिपोर्ट में कहा गया है कि बलूच नागरिकों को निशाना बनाने का सिलसिला एक राज्य-प्रायोजित नीति की तरह सामने आ रहा है, जिसमें लोगों को बिना वजह हिरासत में लिया जा रहा है और कई मामलों में उन्हें गैरकानूनी तरीके से मार दिया जा रहा है.
रिपोर्ट के मुताबिक, जून 2025 के महीने में कुल 84 लोगों को जबरन गायब किया गया, जिनमें से ज्यादातर को बिना किसी कानूनी प्रक्रिया के हिरासत में रखा गया. 14 जिलों में जबरन गायब होने की घटनाएं दर्ज हुई हैं, जिनमें कराची और इस्लामाबाद जैसे बड़े शहर भी शामिल हैं. केच और मस्तुंग ऐसे जिले रहे जहां सबसे अधिक मामले सामने आए.
रिपोर्ट के मुताबिक, हिरासत में लिए गए कई लोगों को गंभीर मानसिक और शारीरिक यातनाओं के बाद रिहा किया गया. यह सिलसिला बलूच समुदाय के खिलाफ चल रहे व्यवस्थित उत्पीड़न को दर्शाता है. 21 साल के ज़ीशान बलूच अपने लापता पिता ज़हीर बलूच की सुरक्षित रिहाई की मांग कर रहा था, जब उसे राज्य समर्थित मौत के दस्ते ने अगवा कर लिया और उसकी हत्या कर दी.
कामरान जट्टक, एक प्रमुख आदिवासी नेता, ने एक महिला अस्मा जिसका अपहरण कर लिया था, उसके लिए आवाज उठाई, जिसके चलते उसकी खुज़दार में गोली मारकर हत्या कर दी गई. रिपोर्ट में बताया है कि कैसे न्याय की मांग करने वालों को बलि का बकरा बनाया जा रहा है.
रिपोर्ट में इस फैक्ट को हाइलाइट किया गया है कि पीड़ितों को अक्सर बिना कानूनी प्रक्रिया के उठाया जाता है, फिर यातना के निशानों के साथ उनका शव सुदूर इलाकों में फेंका जाता है. संस्थागत चुप्पी और न्यायिक निगरानी की कमी ने स्थिति को और भयावह बना दिया है.