"मैं भारत को अपना मुल्क मानकर पिछले 15 सालों से यहाँ रह रही हूँ. मेरे पास यहाँ का आधार कार्ड और इलेक्शन कार्ड भी है. मैं यहाँ वोट करती हूँ. मैंने शान्ति का रास्ता चुना था. अब मैं कहाँ जाउंगी. सरकार को मेरी अपील सुननी चाहिए."
मरियम, आमना और जाहिदा के चेहरों पर एक अजीब- सी उदासी है. उनकी आँखों में एक बेनाम- सा डर है. भविष्य को लेकर ढेर सारी अनिश्चितताएं हैं. उन्हें डर है कि एक दिन उनका पूरा परिवार एक दूसरे से हमेशा के लिए बिछड़ जाएगा..
कश्मीर के बांदीपुरा में रहने वाली जाहिदा को सरकार की तरफ से नोटिस भेजा गया है. नोटिस में कहा गया है कि जाहिदा को अपनी दो बेटियों मरियम और आमना के साथ भारत छोड़ देना होगा.. उसे वापस पाकिस्तान जाना होगा. जाहिद का गुनाह बस इतना है कि वो एक पाकिस्तानी महिला है, और उसने एक भारतीय से विवाह किया है.
दरअसल, कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले और इसमें 26 पर्यटकों की मौत के बाद भारत सरकार ने पाकिस्तान से सभी तरह के सिफारती रिश्ते और करार तोड़ दिए हैं. भारत में स्थाई या अस्थाई तौर पर रहने वाले सभी पाकिस्तानी नागरिकों को वापस 29 अप्रैल 2025 तक पाकिस्तान लौटने का आदेश जारी किया गया है.
सरकार के इस आदेश से भारत में रहने वाली हजारों पाकिस्तानी औरतों के सामने एक नई तरह की मुश्किल पैदा हो गई है, जो हिन्दुस्तानी मर्दों के साथ निकाह या शादी के रिश्ते में रह रही हैं, लेकिन उन्हें सालों बाद भारत की नागरिकता नहीं मिली है. देश की ऐसी पाकिस्तानी बहुओं के सामने कानूनी कार्रवाई और निर्वासन का खतरा पैदा हो गया है.
कश्मीरी के गुंडपोरा में अपने बच्चों के साथ रहने वाली पाकिस्तानी महिला जाहिदा
25 साल पहले एक कश्मीरी से हुई थी पाकिस्तानी जाहिदा की शादी
पाकिस्तानी मूल की जाहिदा ने पाकिस्तान में कश्मीरी के गुंडपोरा रामपोरा के नौजवान बशीर अहमद नज़र से 25 साल पहले शादी की थी. उस वक़्त बशीर अहमद एक भटका हुआ नौजवान था और पाकिस्तान में हथियारों की ट्रेनिंग ले रहा था. वो दस साल से पाकिस्तान में ही रह रहा था. लेकिन 2010 में, तत्कालीन सरकार द्वारा शुरू की गई पुनर्वास नीति के तहत सरकार के दबाव में, जाहिदा और उनके पति कश्मीर लौट आए. बशीर ने हिंसा का रास्ता छोड़कर शांति का रास्ता और ज़िन्दगी चुन लिया. सरकार ने उसे माफ़ी दे दी. बशीर अब मजदूरी कर अपना और अपने परिवार की ज़िन्दगी चलाता है.
सरकारी नीति में भारत की पाकिस्तानी बहुओं के लिए कोई प्रावधान नहीं
ये योजना नवंबर 2010 में तत्कालीन सरकार उमर अब्दुल्ला की पुनर्वास नीति के तहत शुरू की गयी थी, जिसका मकसद उन भटके हुए कश्मीरी नौजावानों को लक्षित करना था जो 1989 और 2009 के बीच हथियारों की ट्रेनिंग लेने सीमा पार कर पाकिस्तान चले गए थे. लेकिन बाद में वह दहशतगर्दी का रास्ता छोड़कर वापस वतन लौटना और नई ज़िन्दगी शुरू करना चाहते थे. इस नीति के तहत, वापसी करने वालों को परामर्श, व्यावसायिक प्रशिक्षण और वित्तीय सहायता का वादा किया गया था. इस नीति के तहत बहुत से कश्मीरी नौजवान वापस भारत आ गए थे. इनमे से कुछ वैसे भी थे, जिनकी पाकिस्तान में शादी हो गयी थी, और उनके बच्चे भी थे. लेकिन इस नीति में विदेशी पत्नियों के लिए उस वक़्त कोई प्रावधान नहीं बनाया गया था, जिसकी वजह से जाहिदा जैसी हजारों पाकिस्तानी बहुओं के लिए कानूनी सकंट अब पैदा हो गया है.
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मेरे लिए मौत की सजा जैसी है भारत से पाकिस्तान भेजना
जाहिदा ने रोते हुए कहा, "मैं यहाँ 15 साल से रह रही हूँ. हमने यहाँ घर बनाया है. अपने बच्चों की परवरिश की है, और शांति से अपनी ज़िन्दगी जी रही हूँ. सरकार ने अब मुझे वापस जाने के लिए कहा है. अब इतने सालों के बाद, हमें क्यों सज़ा दी जा रही है? हम कहीं नहीं जाना चाहते."अधिकारियों से अपील करते हुए जाहिदा ने कहा, "हमें माफ़ कर दीजिए. हमें उस चीज़ की सज़ा मत दीजिए जो हमने की ही नहीं है. मेरे छोटे-छोटे बच्चे हैं, यहाँ एक परिवार है. अब मैं कहाँ जाऊँगी? यहां से जाने के लिए कहा कहना हमारे लिए मौत की सजा जैसा है."
जाहिदा का दुःख अकेला नहीं है. कश्मीर के दर्जनों परिवारों का यही हाल है. जहाँ पाकिस्तान से आयी बहुएं दो देशों के पाटों में झूल रही है.
दिल्ली में ससुराल, लेकिन गजाला को वापस जाना होगा पाकिस्तान
पाकिस्तान के कराची की रहने वाली गज़ाला की शादी पुरानी दिल्ली के रहने वाले ज़ाकिर से हुई थी. गुजिश्ता 3 साल से गज़ाला दिल्ली में रह रही थी, लेकिन अब गज़ाला को अपने शौहर जाकिर को छोड़ कर कराची पाकिस्तान लौटना होगा. गज़ाला ने कहा उम्मीद है हालत जल्दी बेहतर होंगे और वह लौट आएगी. गज़ाला और जाकिर दोनों आपस में पहले से रिश्तेदार हैं. आज़ादी के बाद गजाला के पिता पाकिस्तान चले गए थे, जबकि जाकिर का परिवार दिल्ली में रह गया था. दोनों परिवारों ने पुरानी रिश्तेदारी को फिर से बहाल और ताज़ा रखने के लिए गजाला और जाकिर की शादी की थी. गजाला यहाँ लॉन्ग टर्म वीसा पर रह रही थी, और उसे अभी तक भारत की नागरिकता नहीं मिली थी.
दिल्ली में गजाला अपनी शौहर जाकिर के साथ सलाम टीवी के प्रतिनिधि सैय्यद मुबश्शिर के साथ
गजाला बिलखते हुए कहती हैं, " हमारे लिए ये बहुत मुश्किल घड़ी है. मुझे अपने शौहर पर बच्चे को छोकर पाकिस्तान जाना पड़ रहा है. उम्मीद करती हूँ कि दोनों मुल्क के रिश्ते जल्द बेहतर हों और मैं लौटकर अपने शौहर और अपने बच्चे के पास आ सकूँ.
89 साल की बूढी पाकिस्तानी औरत को जाना होगा पाकिस्तान
हैदराबाद में कुल 205 पाकिस्तानी रहते हैं, जिसमें कुछ लॉन्ग टर्म वीजा तो कुछ कुछ मेडिकल पर है. 89 साल की एक बूढी पाकिस्तानी औरत हैदराबाद में अपनी बेटी का यहाँ लोंग टर्म वीजा पर रह रही है. वो बेहद बीमार है. उसका पाकिस्तान में भी कोई नहीं है. लेकिन सरकार के नए आदेश के बाद इस बूढी महिला को अब भारत छोड़ना होगा. वो दोनों माँ- बेटी सरकार से अपील कर रही है कि उसे भारत में रहने दिया जाए. बूढी महिला की बेटी अब भारतीय नागरिक है.
हैदाराबाद में 89 साल की पाकिस्तानी महिला अपनी बेटी के साथ सलाम टीवी के नामा निगार से अपनी परेशानी शेयर करती हुई.
असम की राबिया घर में हुई नज़रबंद
असम के तिनसुकिया में पाकिस्तानी लड़की राबिया आयुष की 2022 में शादी हुई थी. राबिया एक गल्ले की दुकान खोलकर अपना गुजार- बसर कर रही है. जब से पाकिस्तानी नागरिकों को वापस भेजने की खबर आयी है, राबिया को स्थानीय प्रशासन ने उसके किराए के कमरे में नज़रबंद कर दिया है. उसे किसी बाहरी आदमी से बातचीत नहीं करने दिया जा रहा है. राबिया ने दीर्घकालिक वीज़ा के लिए आवेदन किया हुआ है, लेकिन उसकी अर्जी अभी पेंडिंग है.
असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा है कि राबिया असम में रहने वाली एकमात्र पाकिस्तानी नागरिक है. हालिया घटनाक्रम को देखते हुए विदेशी नागरिकों की स्थिति के बारे में स्पष्टीकरण मांगने के लिए केंद्र से असम सरकार ने संपर्क किया है.
बच्चे भारतीय लेकिन मां पाकिस्तानी
बिहार के मुजफ्फरपुर में रहने वाली दो पाकिस्तानी बहुएं फराह जहां और वजिहा हयाज के लिए भी मुश्किलें खड़ी हो गयी हैं. ब्रह्मपुरा थाने के मेहंदी हसन चौक निवासी यूसुफ हन्फी ने फराह से साल 1990 में निकाह किया था. उसके बाद से वह लॉन्ग टर्म वीजा पर भारत में ही रह रही है. लेकिन इस बीच उसने अपने वीजा का नवीकरण नहीं कराया. फराह ने भारतीय नागरिकता के लिए आवेदन दिया है, मगर उसे अब तक नागरिकता नहीं मिली है. माड़ीपुर में रहने वाली वजिहा हयाज की भी 2012 में तनवीर से शादी हुई थी. वह भी दीर्घकालीन वीजा पर अपने ससुराल में रह रही है. दोनों महिलाओं के बच्चे हैं, जो अब भारत के नागरिक हैं. दोनों सरकार के नए आदेश को लेकर सशंकित हैं.
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सरकार का दावा; भारत में ब्याही गई है पाकिस्तान की पांच लाख लड़कियां
इसी बीच भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सांसद निशिकांत दुबे ने दावा किया है कि इस वक़्त पांच लाख से ज्यादा पाकिस्तानी लड़कियां भारत में शादी करके रह रही हैं.
निशिकांत दुबे ने कहा कि इन लड़कियों को अभी तक भारत की नागरिकता नहीं मिली है. सांसद ने इन्हें आंतरिक दुश्मन बताते हुए इनसे निपटने की बात कही है.
निशिकांत दुबे के इस बयान ने राजनीतिक हलकों में तीखी बहस छेड़ दी है.
क्या हैं सरकार के गाईड लाईन ?
1. ऐसे पाक नागरिक जो पाकिस्तान से भारत आकर वर्तमान में लॉग टर्म वीजा (एल.टी.वी.) पर भारत में निवास कर आरहे हैं, उनको देश छोड कर जाने की ज़रुरत नहीं है.
2. जिन पाक नागरिकों की एल.टी.वी. की वैधता ख़त्म हो चुकी है उन्हें अपना एल.टी.वी. एक्टेंशन करवाना ज़रूरी है.
3. ऐसे पाक नागरिक जो एल.टी.वी. के लिए आवेदन कर चुके हैं और उनकी अर्जी विचाराधीन है. उनको पाकिस्तान डिपोर्ट नही किया जा रहा है.
4. ऐसे पाक नागरिक जो एल.टी.वी. आवेदन की पात्रता रखते हैं, और अभी तक आवेदन नहीं किया है, वो जल्द वैध दस्तावेजों के साथ आवेदन कर सकते हैं.
5. जिन पाक नागरिकों के पासपोर्ट की वैधता ख़त्म हो चुकी है, और अभी तक अपना पंजीकरण नहीं करवाया है, उन्हें अपने क्षेत्र के विदेशी पंजीयन अधिकारी कार्यालय में आवेदन करना चाहिए.
6. जिन मुस्लिम महिलाओं की शादी भारतीय नागरिक के साथ होने की वजह से एल.टी.वी. पर निवासरत हैं, उन्हे भी पुनः पाकिस्तान जाने की ज़रूरत नहीं है.
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