Poonch News Today: इस्लाम धर्म में महिलाओं को ऊंचा मकाम दिया गया है. इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि हदीस में कहा गया है कि "मां के पैरों के नीचे जन्नत है." हालांकि, सामाजिक कुरीतियों और आडंबरों के आधार पर औरतों को हाशिये पर धकेल दिया. इस दौरान कई महिलाओं ने सामाजिक परंपराओं को तोड़ते नया एक अलग मुकाम हासिल किया.
कुछ इसी तरह का मामला जम्मू कश्मीर के पुंछ में देखने को मिला. यहां की एक छात्रा ने अपने बुलंद हौसलों से एक ऐसा कारनामा कर दिखाया, जिसकी सब तारीफ करते नहीं थकते हैं. छात्रा ने कड़ी मशक्कत के बाद पवित्र कुरान शरीफ की आयतों को अपने हाथों से लिखा है. उन्होंने इसको इतनी सफाई के साथ लिखा है, जैसे लग रहा है किसी मशीन से डिजाइन कर प्रिंट किया गया है.
जब हौसले बुलंद हों, तो कोई भी मंजिल दूर नहीं होती. पुंछ की होनहार लड़की इस बात को सच कर दिखाया है. पुंछ की सुरनकोट तहसील के पोट्ठा गांव की एक छात्रा महविश जैनब नाम की होनहार बच्ची ने अपनी मेहनत, लगन और खूबसूरती से पूरा कुरआन-ए-करीम अपने हाथों से लिख डाला है. महज़ एक साल की छोटी सी अवधि में महविश ने यह महान काम पूरा किया है, जो उनकी उम्र में किसी अजूबे से कम नहीं है.
उनकी यह उपलब्धि परिवार, उस्ताद (शिक्षक) और पूरे गांव के लिए गर्व का एक बड़ा क्षण बन गई है. महविश जैनब न सिर्फ एक छात्रा हैं, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए एक बड़ी प्रेरणा स्रोत भी हैं. उनकी यह कामयाबी साबित करती है कि अगर इरादे मजबूत हों और लगन सच्ची हो, तो उम्र या कोई और बाधा मायने नहीं रखती. यह दिखाता है कि इंसान किसी भी लक्ष्य को प्राप्त कर सकता है, बस उसके हौसले बुलंद होने चाहिए.
महविश जैनब ने कहा कि मुझे इस्लाम धर्म के बारे में बारीकी से जानने का मौका मेरे बड़े भाई की वजह से मिला है. उन्होंने मुझे पढ़ने को लेकर हमेशा प्रोत्साहित किया. जैनब ने बताया कि कैलिग्राफी के करते हुए मेरे उस्ताद ने मेरी खूब मदद की और इसी दौरान मुझे कुरआन शरीफ लिखने का आइडिया आया.
जैनब के वालिद बेटी की शानदार कारनामे पर काफी फख्र महसूस कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि तालीम और तरबियत दोनों बच्चों को देनी जरुरी है. जैनब के वालिद के मुताबिक, तरबियत के बगैर तालीम अधूरी है और मेरी बच्ची के उस्ताद ने दोनों दोनों बातों को बखूबी अंजाम दिया.