Uttar Pradesh News Today: वक्फ संशोधन कानून को लेकर विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है. समाजवादी पार्टी ने बुधवार (9 अप्रैल) को इस कानून की वैधानिकता को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी. बीते दिनों संसद के दोनों सदनों से वक्फ बिल पारित होने के बाद राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने भी अपनी मंजूरी दे दी. इसके बाद कांग्रेस, एआईएमआईएम, डीएमके समेत कई सियासी दलों और संगठनों ने वक्फ संशोधन कानून के खिलाप सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है.
संभल से समाजवादी पार्टी के सांसद जियाउर्रहमान बर्क ने भी विधेयक को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है. दायर याचिका में सपा सांसद ने कहा कि यह अधिनियम मुस्लिम समुदाय के खिलाफ भेदभाव करता है. इसकी वजह यह है कि इसमें ऐसे प्रतिबंध लगाए गए हैं, जो दूसरे धार्मिक संगठनों पर लागू नहीं होता है.
इस बीच केंद्र सरकार ने भी मंगलवार (8 अप्रैल) सुप्रीम कोर्ट में एक कैविएट दाखिल किया है, जिसमें वक्फ संशोधन अधिनियम 2025 की संवैधानिकता की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर कोई भी फैसला लिए जाने से पहले उनका पक्ष भी सुने जाने का अनुरोध किया. कैविएट दाखिल करने से यह सुनिश्चित होता है कि अदालत इसे दायर करने वाले पक्ष को सुने बिना आदेश पारित नहीं कर सकती है.
वक्फ बिल को चुनौती देने वाली 10 से ज्यादा याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई है. इसमें सबसे पहले कांग्रेस सांसद जावेद अहमद, एआईएमआईए प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी, ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड और जमीयत उलमा ए हिंद ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर, बिल की संवैधानिकता पर सवाल उठाए हैं.
मीडिया में छपी खबरों के मुताबिक, वक्फ बिल को चुनौती देने वाली इन याचिकाओं पर 15 अप्रैल को सुनवाई होने की उम्मीद है. हालांकि अभी इसकी जानकारी सुप्रीम कोर्ट की आधिकारिक वेबसाइट पर नहीं दिखाई दे रही है. इससे पहले 7 अप्रैल को चीफ जस्टिस संजीव खन्ना की बेंच ने जमीयत उलमा ए हिंद के वकील कपिल सिब्बल को आश्वासन दिया कि वे इन सभी याचिकाओं पर सुनवाई के लिए जल्द समय निर्धारित करेंगे.
मुस्लिम माइनॉरिटी की ऐसी ही खबरों के लिए विजिट करें https://zeenews.india.com/hindi/zeesalaam