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Sambhal Jama Masjid के लिए 19 मई अहम दिन, इलाहाबाद कोर्ट सुनाएगा बड़ा फैसला

Sambhal Jama Masjid: शाही जामा मस्जिद को लेकर बड़ा आदेश आने वाला है. दरअसल इलाहाबाद हाई कोर्ट ये फैसला सुनाने वाला है कि मस्जिद का सर्वे होगा या नहीं. पूरी खबर पढ़ें.

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Sambhal Jama Masjid के लिए 19 मई अहम दिन, इलाहाबाद कोर्ट सुनाएगा बड़ा फैसला
Sami Siddiqui |Updated: May 18, 2025, 04:19 PM IST
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Sambhal Jama Masjid: संभल की जामा मस्जिद के लिए कल काफी अहम दिन है. क्योंकि कल इलाहाबाद कोर्ट एक बड़ा फैसला सुनाने वाला है. इस फैसले पर सभी की नज़रे टिकी हुई हैं. दरअसल, इलाहाबाद हाईकोर्ट कल बुधवार, 15 मई को दोपहर 2 बजे जामा मस्जिद के सर्वे पर अपना फैसला सुनाएगा. यह फैसला जस्टिस रोहित रंजन अग्रवाल की सिंगल बेंच के जरिए सुनाया जाएगा.

संभल जामा मस्जिद के लिए काफी अहम दिन

मामला  संभल सिविल कोर्ट के उस आदेश से जुड़ा है, जिसमें 19 नवंबर 2024 को मस्जिद परिसर का सर्वे कराने का निर्देश दिया गया था. इस आदेश को मस्जिद कमेटी ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में चुनौती दी थी और सर्वे पर रोक लगाने की मांग की थी. 19 को मस्जिद का सर्वे किया गया था और इसके बाद 24 नवंबर को सर्वे हुआ था, जिसके बाद शहर में हिंसा भड़क गई थी.

15 मई को फैसला रखा था सुरक्षित

हाईकोर्ट ने 15 मई को सभी पक्षों की बहस सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था, जिसे अब कल सार्वजनिक किया जाएगा. कोर्ट के इस फैसले से यह तय हो जाएगा कि संभल जामा मस्जिद का सर्वे होगा या नहीं.

क्या है पूरा मामला?

हिंदू पक्ष की तरफ से दावा किया गया है कि संभल की जामा मस्जिद की जगह पर पहले हरिहर मंदिर था. इसी आधार पर सिविल कोर्ट में याचिका दायर कर मस्जिद परिसर का सर्वे कराने की मांग की गई थी. अदालत ने हिंदू पक्ष की याचिका कबूल करते हुए सर्वे का आदेश दिया था. इस आदेश के खिलाफ मस्जिद कमेटी ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी, जिसमें कहा गया कि यह आदेश एकतरफा और अनुचित है और इससे धार्मिक भावनाएं आहत हो सकती हैं. याचिका में सर्वे आदेश पर स्थगन की मांग की गई थी, जिस पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने अंतरिम रोक लगा दी थी.

सर्वे के दौरान हो चुकी है हिंसा

24 नवंबर को एएसआई की टीम सर्वे के लिए पहुंची थी और इसी दौरान मस्जिद के बाद पुलिस और भीड़ के बीच हिंसा हुई थी. जिसमें, 5 लोगों की मौत हुई थी. लोगों ने इल्जाम लगाया था कि लोकल कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष को सुने बिना सर्वे के आदेश दिए थे.

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