SC Bail to a Muslim women: सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड धर्म स्वतंत्रता कानून (Uttarakhand Freedom of Religion Act) के तहत गिरफ्तार एक मुस्लिम शख्स को जमानत दे दी है. कोर्ट ने इसके साथ ही कहा है कि जब दोनों परिवारों की मौजूगी में कपल की शादी हुई तो इसमें राज्य सरकार कैसे दखल दे सकती है. बता दें, अमन सिद्दीकी उर्फ अमन चौधरी को एक दूसरे धर्म की लड़की से शादी करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था.
अदालत ने जमानत देते हुए कहा कि युवक और युवती दोनों बालिग हैं और उन्होंने परिवार की मौजूदगी में एक-दूसरे के धर्म को जानकर सहमति से शादी की है. ऐसे में राज्य को उनके एक साथ रहने पर कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए.
अमन सिद्दीकी के खिलाफ एफआईआर रुद्रपुर (उधम सिंह नगर ज़िला) के पुलिस थाने में एफआईआर दर्ज कराई गई थी. खास बात यह है कि उनके खिलाफ परिवार ने नहीं बल्कि कुछ रिश्तेदारों और कुछ संगठनों के जरिए दर्ज करवाई गई थी. उत्तराखंड धर्म स्वतंत्रता अधिनियम की धारा 3/5 और भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 318(4) और 319 के तहत मामला दर्ज किया गया है.
इस मामले में अमन सिद्दीकी ने हाई कोर्ट से जमानत मांगी थी. लेकिन, उन्हें यहां से कोई रिआयत नहीं मिला पाई थी. वह करीब 6 महीनों से जेल में बंद थे और उनका परिवार उन्हें निकालने के लिए जद्दोजहद कर रहा था. उनके परिवार ने हार मान कर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था.
अमन सिद्दीकी के वकील ने सुप्रीम कोर्ट में बताया कि यह शादी परिवारों की सहमति से हुई थी. लेकिन शादी के बाद कुछ लोग और कुछ संगठनों ने इसका विरोध करना शुरू कर दिया. वकील ने यह भी कहा कि अगर अमन को जमानत मिलती है तो वह और उनकी पत्नी परिवार से अलग रहकर शांतिपूर्वक जीवन बिताना चाहते हैं.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जब शादी बालिगों की सहमति से और दोनों परिवारों की मौजूदगी में हुई है, तो राज्य को इसमें दखल देने का अधिकार नहीं है. अदालत ने ट्रायल कोर्ट को निर्देश दिया कि अमन को तुरंत रिहा किया जाए.