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गुजरात सरकार के फैसले को SC ने बताया गलत, फिर हवालात की हवा खाएंगे दोषी?

Bilkis Bano Verdict: साल 2022 के अगस्त में गुजरात सरकार ने बिलकिस बानो गैंगरेप केस में उम्रकैद की सजा पाए 11 मुजरिमों को रिहा कर दिया था. मुजरिमों की रिहाई को उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी गई थी. 

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गुजरात सरकार के फैसले को SC ने बताया गलत, फिर हवालात की हवा खाएंगे दोषी?
Tauseef Alam|Updated: Jan 08, 2024, 11:43 AM IST
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Bilkis Bano supreme court verdict​: सुप्रीम कोर्ट से बिलकिस बानो के दोषियों को बड़ा झटका लगा है. कोर्ट ने सभी दोषियों की रिहाई का फैसला रद्द कर दिया है. सुप्रीम कोर्ट के जज नागरत्ना ने टिप्पणी करते हुए कहा, "सजा इसलिए दी जाती है कि आने वाले दिनों में अपराध रुके. अपराधी को सुधरने का मौका दिया जाता है, लेकिन पीड़ित की तकलीफ का भी एहसास होना चाहिए."

उन्होंने आगे कहा, "हमने कानूनी लिहाज से मामले को परखा है. पीड़िता की याचिका को हमने सुनवाई योग्य माना है. इसी मामले में जो जनहित याचिकाएं दाखिल हुई हैं, हम उनके सुनवाई योग्य होने या न होने पर टिप्पणी नहीं कर रहे."

जस्टिस नागरत्ना ने क्या कहा?

न्यायमूर्ति नागरत्ना ने कहा, "जिस अदालत में मुकदमा चला था, रिहाई पर फैसले से पहले गुजरात सरकार को उसकी राय लेनी चाहिए थी. जिस राज्य में मुल्जिमों को सजा मिली, उसे ही रिहाई पर फैसला लेना चाहिए था. सजा महाराष्ट्र में मिली थी. इस आधार पर रिहाई का आदेश निरस्त हो जाता है." 

गुजरात सरकार ने दोषियों किया था रिहा

साल 2022 के अगस्त में गुजरात सरकार ने बिलकिस बानो गैंगरेप केस में उम्रकैद की सजा पाए 11 मुजरिमों को रिहा कर दिया था. मुजरिमों की रिहाई को उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी गई थी. अब SC के फैसला आने के बाद बिलकिस के दोषियों को जेल जाना होगा.  

इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने 11 दिनों तक सुनवाई की थी. इस दौरान केंद्र और गुजरात सरकार ने मुजरिमों की सजा माफ करने से संबंधित मूल रिकॉर्ड पेश किए थे. वहीं गुजरात सरकार ने सभी मुजरिमों की रिहाई को सही ठहराते हुए कहा था, "इन लोगों ने सुधारात्म सिंद्धांत का पालन किया है."

वहीं इस रिहाई का विरोध करते हुए बिलकिस बानो के वकील ने कहा था, "वो (बिलकिस बानो) सदमे से उबर भी नहीं पाई हैं और मुजरिमों को रिहा कर दिया गया है." हालांकि मुजरिमों की वक्त से पहले रिहाई पर सुप्रीम कोर्ट ने भी सवाल उठाए थे. SC ने कहा था, "हम सजा में छूट की अवधारणा के खिलाफ नहीं है, क्योंकि कानून में इसे अच्छी तरह से एक्सेप्ट किया गया है, लेकिन ये साफ किया जाना चाहिए कि ये मुजरिम कैसे माफी योग्य बने."

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