Waqf Gurudwara dispute: सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ बोर्ड को बड़ा झटका दिया है. दरअसल कोर्ट ने दिल्ली के शाहदरा इलाके के एक गुरुद्वारे को लेकर दायर दिल्ली वक्फ बोर्ड की याचिका को खारिज कर दिया है. इस याचिका में दावा किया गया था कि गुरुद्वारा वक्फ की प्रॉपर्टी है, और गुरुद्वारा सिंह सभा से 10 लाख रुपये की वसूली की मांग की गई थी
हालांकि, सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस संजय करोल और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की खंडपीठ ने इस याचिका पर सुनवाई से इनकार करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट के 2010 के आदेश को बरकरार रखा, जिसमें हाई कोर्ट ने कहा था कि 1947 से यह स्थान गुरुद्वारे के तौर पर इस्तेमाल हो रहा है और वक्फ बोर्ड यह प्रमाणित करने में नाकामयाब रहा कि यह जमीन वक्फ संपत्ति के अंतर्गत आती है.
सुनवाई के दौरान जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा ने कहा,"जिस स्थान को लेकर दावा किया जा रहा है, वह आज़ादी से पहले से गुरुद्वारा है. एक बार गुरुद्वारा स्थापित हो गया तो उसे रहने दीजिए, वहां सालों से धार्मिक गतिविधियां हो रही हैं."
वक्फ बोर्ड की ओर से याचिका में यह दावा किया गया था कि गुरुद्वारा एक वक्फ संपत्ति पर बना हुआ है और पहले वहां मस्जिद थी. वहीं, गुरुद्वारा सिंह सभा की ओर से दलील दी गई कि उन्होंने यह जमीन खरीदी है और वे इसके वैध मालिक हैं. हालांकि, वक्फ बोर्ड इस दावे के समर्थन में पर्याप्त प्रमाण प्रस्तुत नहीं कर सका.
गौरतलब है कि निचली अदालत ने पहले वक्फ बोर्ड के पक्ष में फैसला सुनाया था. लेकिन, हाईकोर्ट में इस फैसले को चुनौती दी गई, जहां अदालत ने यह साफ किया कि प्रॉपर्टी वक्फ के अधिकार क्षेत्र में नहीं आती. सुप्रीम कोर्ट ने भी हाईकोर्ट के इस फैसले को सही ठहराते हुए याचिका को खारिज कर दिया.
वक्फ बोर्ड की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता संजय घोष ने दलील दी कि पहले यहां मस्जिद थी. इस पर जस्टिस शर्मा ने जवाब देते हुए कहा कि यह कोई साधारण स्थान नहीं है, बल्कि वह गुरुद्वारा है जहां श्रद्धालु अरदास, पाठ और पूजा करते हैं.