Sanjauli Masjid Controversy: हिमाचल की संजौली मस्जिद विवाद पर कुछ हद तक ब्रेक लगता हुई दिखाई पड़ रहा है. संजौली मस्जिद मामले में जिला अदालत में सोमवार (26 मई) को दोबारा सुनवाई हुई है. जिला अदालत ने 3 मई 2025 को नगर निगम आयुक्त अदालत की ओर से पास किए गए ऑर्डर पर रोक लगाते हुए स्टे ऑर्डर जारी किया है. अदालत के जरिये पूरे मामले में यथास्थिति बरकरार रखने के लिए कहा है.
वक्फ बोर्ड के एडवोकेट बी. एस. ठाकुर ने अदालत के जरिये दिए गए आदेश को लेकर अहम जानकारी दी. उन्होंने बताया कि अदालत ने कैविएटर के तौर पर आए देवभूमि संघर्ष समिति को मामले में पार्टी बनाने से इनकार कर दिया है, क्योंकि नगर निगम आयुक्त की अदालत के फैसले में देवभूमि संघर्ष समिति का कोई जिक्र ही नहीं है. एडवोकेट बी. एस. ठाकुर ने बताया कि इस मामले में अगली सुनवाई अब 29 मई को होगी.
बता दें, हिमाचल प्रदेश के संजौली स्थित मस्जिद को लेकर लंबे समय से जारी विवाद के बीच उस समय नया मोड़ आया, जब नगर निगम आयुक्त भूपेंद्र अत्री ने 3 मई 2025 को मस्जिद को अवैध घोषित करते हुए इसके दो निचली मंजिलों को भी गिराने का आदेश दिया था. इससे पहले मस्जिद की ऊपरी तीन मंजिलों को गिराने का निर्देश 5 अक्टूबर 2024 को जारी किया गया था.
निगम आयुक्त ने हिमाचल वक्फ बोर्ड को कई बार मस्जिद की जमीन से जुड़े दस्तावेज और निर्माण का नक्शा पेश करने का मौका दिया था, लेकिन बोर्ड ऐसा करने में नाकाम रहा. मस्जिद कमेटी ने भी शिमला नगर निगम अदालत को एनओसी या नक्शा नहीं सौंपा. जबकि हिंदू संगठनों के विरोध के बीच वक्फ बोर्ड लंबे समय से मस्जिद पर मालिकाना हक का दावा करता रहा है.
करीब 16 सालों तक यह मामला निगम आयुक्त की अदालत में चला, जहां 50 से अधिक बार सुनवाई हुई. हाईकोर्ट के निर्देश पर निगम ने 3 मई को आखिरी फैसला सुनाया. अब वक्फ बोर्ड ने इस फैसले को सेशन कोर्ट में चुनौती दी है, जहां अदालत ने फिलहाल यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया है. अगली सुनवाई 29 मई को होगी. इससे पहले मस्जिद को लेकर बीते साल सितंबर में उग्र प्रदर्शन हुआ था.