Sanjauli Masjid Controversy: हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला के संजौली स्थित मस्जिद को लेकर नगर निगम की कमिश्नर कोर्ट ने बड़ा आदेश दिया है. शिमला नगर निगम की कमिश्नर कोर्ट ने अंतिम फैसला सुनाते हुए पूरी मस्जिद को अवैध माना और सभी मंजिलों को तोड़ने के निर्देश दिए हैं.
संजौली की मस्जिद को नगर निगम कोर्ट ने 'गैरकानूनी ढांचा' बताया. पिछले 15 साल से चले आ रहे विवाद पर कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा कि वक्फ बोर्ड का जमीन पर कोई हक नहीं है. माना जा रहा है कि कोर्ट के आदेश के बाद नगर निगम जल्द ही मस्जिद पर बुलडोजर की कार्रवाई कर सकता है.
शिमला नगर निगम (एमसी) कोर्ट ने इस संजौली मस्जिद के पूरे ढांचे को अवैध घोषित करते हुए उसे गिराने आदेश दिया है. कोर्ट ने साफ कहा है कि मस्जिद का निर्माण बिना किसी वैध अनुमति, बगैर एनओसी और सैंक्शन मैप के किया गया था.
कोर्ट के आदेश के मुताबिक, मस्जिद के ग्राउंड फ्लोर और फर्स्ट फ्लोर को भी अब अवैध माना गया है, जबकि इससे पहले 5 अक्टूबर 2024 को सेकेंड, थर्ड और फोर्थ फ्लोर को गिराने का आदेश पहले ही जारी किया जा चुका था. स्थानीय लोगों की ओर से पैरवी कर रहे वकील जगत पाल ने बताया कि हाई कोर्ट के निर्देश के तहत नगर निगम आयुक्त को छह हफ्तों के भीतर इस मामले का निपटारा करना था और आज का फैसला उसी प्रक्रिया का हिस्सा है.
कोर्ट ने अपनी टिप्पणी में कहा कि हिमाचल प्रदेश वक्फ बोर्ड पिछले 15 सालों में यह साबित नहीं कर पाया कि विवादित जमीन पर उसका कोई मालिकाना हक है. इतना ही नहीं, बोर्ड के जरिये टैक्स की एनओसी तक नगर निगम से नहीं ली गई और न ही कोई वैध दस्तावेज कोर्ट में पेश किए गए हैं.
कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि पुराने ढांचे को भी बिना अनुमति के गिराया गया था. इसके बाद इस जमीन पर नया निर्माण अवैध रूप से किया गया, जो नगर निगम अधिनियम की धाराओं का खुला उल्लंघन था.
बता दें, शिमला के मल्याण क्षेत्र में 29 अगस्त 2024 को दो समुदायों के बीच झड़प हो गई थी, जिसके बाद संजौली मस्जिद को लेकर विवाद गहराता गया. झड़प में एक व्यक्ति घायल हुआ, जिसके बाद 1 सितंबर को मस्जिद के बाहर तनाव का माहौल बन गया.
इसके बाद 11 सितंबर 2024 को हिंदू संगठनों ने मस्जिद निर्माण के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया. प्रदर्शनकारियों ने बैरिकेड तोड़कर मस्जिद की ओर मार्च किया, जिस पर पुलिस को लाठीचार्ज करना पड़ा. इस दौरान कई लोग घायल हुए. इसके बाद नगर निगम कोर्ट ने मामले को गंभीरता से लेते हुए मस्जिद के निर्माण की कानूनी जांच शुरू कर दी.
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