Shravasti News Today: योगी सरकार इन दिनों उत्तर प्रदेश के अलग-अलग जिलों में मौजूद मस्जिद-मदरसों के खिलाफ लगातार कार्रवाई करने में जुटी है. इसी कड़ी में हालिया श्रावस्ती जिले में भी कई कथित अवैध मदरसों के खिलाफ कार्रवाई की गई है. इसके तहत श्रावस्ती जिले में करीब 5 दर्जन मदरसों सील किये जा चुका है.
प्रशासन का दावा है कि श्रावस्ती में सील किए गए ज्यादातर मदरसे कब्रिस्तान, ग्रामसमाज और खलिहान की जमीन पर बने थे. मदरसों पर हो रही कार्रवाई के बीच एक चौंकाने वाला खुलासा हुआ है. जिले के इकौना इलाके में एसडीएम और सीओ की छापेमारी के दौरान एक आवासीय मदरसे का खुलासा हुआ है.
मिली जानकारी के मुताबिक, यह मदरसा बिना मान्यता के साल 2019 से संचालित किया जा रहा है. इस मदरसे में करीब 300 लड़कियां हॉस्टल में रहकर तालीम हासिल करती थी. छापेमारी से पहले ही मदरसा इंतजामिया को अल्पसंख्यक विभाग की तरफ से नोटिस मिली थी, जिसके मदरसे के हॉस्टल में रहकर तालीम हासिल करने वाली लड़कियों को उनके घर भेज दिया गया था.
मौके पर एसडीएम ने इंतजामिया से मदरसे के संचालन के कागजात मांगे, तो वह कोई भी वैध कागजात पेश करने में नाकाम रहे. मदरसा संचालक ने बाकायदा एसडीएम को एक लिखित बयान के जरिये खुद इसे 10 मई तक बंद करने का वादा किया. इस मदरसे में शनिवार को जब डीएम सहित अन्य अधिकारी पहुंचे तो मदरसा संचालक मौके से फरार हो गए.
इसके बाद डीएम अजय द्विवेदी ने आवासीय मदरसे को बंद करने का आदेश दिया गया. मौके पर मदरसे के दोनों गेट को सील कर दिया गया है. इसके साथ ही मदरसे के पिछले गेट के पास हुए अतिक्रमण को बुलडोजर से हटवा दिया गया. डीएम के निर्देश पर मदरसे की लाइट काट दी गई.
श्रावस्ती डीएम ने सख्त लहजे में इस आवासीय मदरसे के बैंक खातों के जांच के भी आदेश दिए हैं. इकौना इलाके में संचालित इस आवासित मदरसे का नाम जामिया नूरिया फातिमा लिल्बनात है, इसके संचालक का नाम सैय्यद सिराजुद्दीन हाशमी है जो गुजरात का रहने वाले बताए जा रहे हैं.
बड़ा सवाल यह है कि साल 2019 से संचालित इस आवासीय मदरसे पर किसी की नजर क्यों नहीं गई? जिले में चल रहे कथित मदरसों के मामले सामने आने के बाद प्रशासनिक कार्रवाई पर सवाल खड़े होने लगे हैं. जामिया नूरिया फातिमा लिल्बनात के निर्माण कार्य और इसकी भव्यता को देखकर कई पहलुओं से इसकी जांच की जा रही है.