Siddharthnagar News Today: उत्तर प्रदेश के सिद्धार्थनगर जिले में शनिवार (3 मई) को जिला प्रशासन ने एक पुराने मदरसे को सरकारी जमीन पर अवैध कब्जा बताकर ध्वस्त कर दिया. जिला प्रशासन की इस कार्रवाई को लेकर अब सवाल उठने लगे हैं. स्थानीय लोगों का आरोप है कि मदरसे के बगैल में सरकारी जमीन पर बना दूसरे समुदाय के धार्मिक स्थल को छोड़ दिया गया.
नेपाल सीमा से करीब 6 किलोमीटर दूर बढ़नी ब्लॉक के ग्राम पंचायत बरगदवा के पिपरा गांव में मौजूद "मदरसा इस्लामिया इस्लाहुल मुस्लमीन" के खिलाफ कार्रवाई की गई. इस दौरान मौके पर बड़ी संख्या पुलिस फोर्स, एसएसबी और पीएसी की मौजूदगी में तहसील प्रशासन ने इस मदरसे को गिरा दिया.
प्रशासन ने बताया कि 26 अप्रैल तक अतिक्रमण हटाने का नोटिस मदरसे से जुड़े शम्सुल्लाह पुत्र ऐनुल्लाह को तहसील कार्यालय के जरिये भेजा गया था. तय समय में अतिक्रमण न हटाए जाने पर बीते 1 मई को एडीएण गौरव श्रीवास्तव, एएसपी सिद्धार्थ, एसडीएम शोहरतगढ़ राहुल सिंह और तहसीलदार अजय कुमार के नेतृत्व में मदरसे की इमारत और बाउंड्री को गिरा दिया गया.
मदसरे के खिलाफ की गई इस कार्रवाई पर कई तरह के सवाल खड़े होने लगे हैं. स्थानीय लोगों ने प्रशासन पर एकतरफा कार्रवाई करने का आरोप लगाया है. स्थानीय लोगों का कहना है कि यह मदरसा करीब 60 सालों से चल रहा था, जहां गरीब बच्चों को उर्दू, हिंदी, अंग्रेजी और विज्ञान की पढ़ाई कराई जाती थी.
स्थानीय लोगों का कहना है कि प्रशासन ने इसे ग्राम समाज की जमीन बता कर गिरा दिया, जबकि बगल में मौजूद एक अन्य समुदाय के धार्मिक इमारत को इसलिए नहीं छुआ गया, क्योंकि उसे PWD की जमीन में बताया गया. ग्रामीणों का दावा है कि वह भवन भी उसी तरह की जमीन पर बना है, जिस तरह से मदरसा बना है. फिर प्रशासन ने दोहरा रवैया अख्तियार किया और सिर्फ मदरसे के खिलाफ कार्रवाई की है.
सिद्धार्थनगर के जिलाधिकारी डॉ राजा गणपति आर ने कहा कि सरकारी आदेश के तहत भारत-नेपाल सीमा से 15 किलोमीटर के दायरे में मौजूद सभी अवैध कब्जों को हटाया जा रहा है. अब तक जिले में 25 अवैध कब्जों की पहचान की जा चुकी है और कई पर कार्रवाई चल रही है.
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