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आज़म खान को नहीं मिली अदालत-ए-आज़मी से कोई राहत; एक बार फिर टूटी इन्साफ की आस

Supreme Court on Azam Khan Case: सुप्रीम कोर्ट ने 2007 के भड़काऊ भाषण मामले में आज़म खान की वह याचिका खारिज कर दी है, जिसमें उन्होंने सुनवाई उत्तर प्रदेश से बाहर कराने की मांग की थी. कोर्ट ने साक्ष्य में छेड़छाड़ के आरोपों को ट्रांसफर का पर्याप्त आधार नहीं माना. जानें कोर्ट ने क्या कुछ कहा?  

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आजम खान को सु्प्रीम कोर्ट से लगा झटका
आजम खान को सु्प्रीम कोर्ट से लगा झटका
Raihan Shahid|Updated: Jul 14, 2025, 07:56 PM IST
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Uttar Pradesh News Today: समाजवादी पार्टी के सीनियर नेता और पूर्व कैबिनेट मंत्री मोहम्मद आजम खान की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं, सोमवार (14 जुलाई) को एक मामले की सुनवाई के दौरान आजम खान को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा है. शीर्ष अदालत ने 2007 के भड़काऊ भाषण मामले में उनके खिलाफ उत्तर प्रदेश की अदालत में चल रही सुनवाई को राज्य से बाहर ट्रांसफर करने की याचिका को खारिज कर दिया है. 

सुप्रीम कोर्ट जस्टिस एम.एम. सुंदरेश और जस्टिस एन.के. सिंह की पीठ ने साफ कहा कि आजम खान की दलीलों में ट्रांसफर का कोई ठोस आधार नहीं है. आजम खान की ओर से सीनियर वकील कपिल सिब्बल ने कोर्ट के समक्ष दलील दी कि मामले में साक्ष्यों के साथ छेड़छाड़ की गई है. उन्होंने बताया कि कथित भड़काऊ भाषण की मूल रिकॉर्डिंग एक वीडियो क्लिप थी, जिसे बदलकर ऑडियो क्लिप में पेश किया गया है.

सुबूतों को बदलने का दावा

कपिल सिब्बल ने कोर्ट में दावा किया कि इस तरह की बदलाव से उनके मुवक्किल के खिलाफ पक्षपात हो सकता है, क्योंकि ऑडियो क्लिप की प्रमाणिकता पर सवाल है. सिब्बल ने कहा कि आजम खान को वीडियो की प्रमाणित प्रति मिल चुकी है और अगर अदालत इस ऑडियो को ही साक्ष्य मानेगी तो निष्पक्ष सुनवाई की उम्मीद नहीं की जा सकती. 

याचिका में यह भी आरोप लगाया गया कि अदालत के रिकॉर्ड को जानबूझकर और दुर्भावनापूर्वक बदला गया है, जिससे आजम खान के खिलाफ माहौल बनाया जा सके. साथ ही याचिका में यह भी कहा गया कि उत्तर प्रदेश में उन्हें निष्पक्ष सुनवाई की कोई उम्मीद नहीं है क्योंकि गवाहों को धमकाया जा रहा है और दबाव में लाया जा रहा है.

सुप्रीम कोर्ट ने दलीलों को माना अपर्याप्त

हालांकि, सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने इन दलीलों को खारिज करते हुए कहा कि सिर्फ रिकॉर्ड से छेड़छाड़ या पक्षपात का आरोप किसी मामले को राज्य से बाहर ट्रांसफर करने का पर्याप्त आधार नहीं हो सकता. अदालत ने मौखिक रूप से टिप्पणी करते हुए कहा, "आप (याचिकाकर्ता) जो चाहें कर सकते हैं, लेकिन इससे ट्रांसफर का आधार नहीं बनता."

देश की सर्वोच्च न्यायिक संस्था इस मामले में यह स्पष्ट कर दिया कि याचिका खारिज करने का मतलब यह नहीं है कि आजम खान अदालत के रिकॉर्ड में बदलाव के संबंध में अन्य वैधानिक उपाय नहीं तलाश सकते. यानी अगर वे चाहें तो इस मसले पर अलग से उचित कानूनी रास्ता अपना सकते हैं.

क्या है पूरा मामला?

बता दें, यह मामला अगस्त 2007 में रामपुर में एक जनसभा के दौरान दिए गए आजम खान के भाषण से जुड़ा है. आरोप है कि उस भाषण में भड़काऊ बातें कही गई थीं, जिसकी रिकॉर्डिंग एक सीडी में मौजूद है. इसी को आधार बनाकर समाजवादी पार्टी नेता आजम खान पर मुकदमा चल रहा है. 

पिछले साल सुप्रीम कोर्ट ने एक आदेश में आजम खान को अपनी आवाज का नमूना देने संबंधी निचली अदालत के निर्देश पर रोक लगा दी थी. वह आदेश भाषण की रिकॉर्डिंग से मिलान के लिए दिया गया था. आजम खान का कहना है कि उनके खिलाफ यह मामला पूरी तरह से सियासी इंतकाम के तहत चलाया जा रहा है. अब जब सुप्रीम कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी है, तो आजम खान को इस मामले की सुनवाई उत्तर प्रदेश में ही झेलनी होगी. हालांकि उन्होंने यह संकेत दिया है कि वह रिकॉर्ड में हुई कथित छेड़छाड़ के खिलाफ अलग से कानूनी लड़ाई जारी रखेंगे.

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