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'सरकार नहीं तय करेगी कि मैं मुस्लिम हूं या नहीं?' मुस्लिम पक्ष की तरफ कपिल सिब्बल की जोरदार बहस

Supreme Court on Waqf Law 2025: सुप्रीम कोर्ट में आज वक्फ अमेंडमेंट के खिलाफ 73 याचिकाओं पर सुनवाई हुई. इस कानून के खिलाफ याचिकाकर्ताओं की तरफ से कपिल सिब्बल, अभिषेक मनु सिंघवी और सीनियर वकील सी यू सिंह, संजय हेगड़े समेत अन्य अपना पक्ष रखा. सिंघवी ने इस बिल को कुछ प्रावधानों पर रोक लगाने की मांग की है.  

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फाइल फोटो
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Zee Salaam Web Desk|Updated: Apr 16, 2025, 06:41 PM IST
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Delhi News Today: देश की सर्वोच्च न्यायिक संस्था में आज वक्फ अमेंडमेंट एक्ट से जुड़ी याचिकाओं पर सुनवाई हुई है. इस मामले में कल यानी गुरुवार (17 अप्रैल) को भी सुप्रीम कोर्ट सुनवाई करेगा. चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया संजीव खन्ना, जस्टिस संजय कुमार और जस्टिस के वी विश्वनाथन की बेंच ने वक्फ अमेंडमेंट एक्ट से जुड़ी 73 से अधिक याचिकाओं पर आज सुनवाई की. 

वक्फ अमेंडमेंट एक्ट के खिलाफ कपिल सिब्बल ने भी बहस की. याचिकाकर्ताओं का पक्ष रखते हुए उन्होंने वक्फ कानून को संविधान विरोधी बताया. सीनियर वकील कपिल सिब्बल ने कोर्ट में दलील दी कि वक्फ कानून आर्टिकल- 25 (धार्मिक स्वतंत्रता) और आर्टिकल- 26 (धार्मिक व्यवस्था से जुड़ा मूल अधिकार) का हनन है. उन्होंने आर्टिकल-26 का हवाला देते हुए कोर्ट को बताया कि कैसे धार्मिक और चैरिटी के मकसद से सपंत्तियों के मैंनेजमेंट का अधिकार देश का संविधान देता है. 

सुप्रीम कोर्ट की पीठ के सामने कपिल सिब्बल ने कहा कि संशोधित कानून के ज्यादातर प्रावधान संविधान के आर्टिकल- 26 के तहत मिले मूल अधिकारों का उल्लंघन है. सिब्बल ने नए कानून के उस प्रावधान पर भी सवाल खड़ा किए, जिसमें 5 साल तक इस्लाम की प्रैक्टिस करने वाले मुस्लिम ही वक्फ कर सकते हैं. उन्होंने सवाल उठाए कि सरकार कौन होती है, जो ये तय करे कि मैं मुस्लिम हूं या नहीं. प्रोपर्टी मेरी है, मैं किसी को भी वक्फ कर सकता हूं.

सिब्बल ने Waqf by User के प्रावधान को खत्म करने पर भी सवाल उठाए. सिब्बल ने कहा कि मेरे धर्म (इस्लाम) में उत्तराधिकार किस तरह लागू होगा, ये पूरी तरह से पर्सनल लॉ के तहत आता है. इस पर चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया ने कहा, "लेकिन हिंदुओं के मामले में भी ऐसा होता है. आर्टिकल- 26 इस मामले में कानून बनाने पर रोक नहीं लगाता. आर्टिकल- 26 इस मायने में सेक्यूलर कानून है और यह सभी पर लागू होता है.

'मौत से पहले उत्तराधिकार में हस्तक्षेप' 

वक्फ कानून के संसोधनों पर सवाल खड़ा करते हुए कपिल सिब्बल ने कोर्ट को बताया कि इस्लाम में उत्तराधिकार मृत्यु के बाद होता है और नया कानून मौत से पहले ही उत्तराधिकार में हस्तक्षेप कर रहा है. उन्होंने कहा कि कलेक्टर को अधिकार दिया गया है कि वो तय करें कि कोई प्रॉपर्टी ववफ है या नहीं. कमिश्नर सरकार का हिस्सा है, उसे ये अधिकार देना संविधान के खिलाफ है.

कपिल सिब्बल ने नए कानून के उस प्रावधान पर भी सवाल उठाया, जिसके मुताबिक ASI के जरिये संरक्षित स्मारक को वक्फ नहीं घोषित किया जा सकता है. इस पर चीफ जस्टिस ने कहा कि मेरे विचार से है यह चीज आपके पक्ष में आती है. जामा मस्जिद जैसी इमारतों का स्टेटस इससे नहीं बदलेगा.

इस मौके पर सीनियर वकील कपिल सिब्बल ने वक्फ काउंसिल और बोर्ड में गैर मुस्लिमों को भी शामिल किए जाने पर एतराज जताया. उन्होंने कहा कि अभी तक सिर्फ मुस्लिम समुदाय के लोग इसका हिस्सा रहे हैं. सिब्बल ने कोर्ट से कहा कि यह नया कानून 200 मिलियन लोगों के साथ ज्यादती है. 

'4 लाख प्रॉपर्टी इस्तेमाल के आधार पर वक्फ'

Waqf By User का प्रावधना खत्म होने पर भी कपिल सिब्बल ने सवाल खड़े किए. उन्होंने कहा कि अब नए कानून के मुताबिक 300 साल पुरानी प्रॉपर्टी के लिए भी Waqf Deed की ज़रूरत होंगी. सीनियर वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने भी waqf by User का प्रावधान खत्म होने पर सवाल उठाया.

अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि आठ लाख में से 4 लाख प्रॉपर्टी सिर्फ इस्तेमाल के आधार पर (Waqf by User) के आधार पर वक्फ बनी हैं. इस पर चीफ जस्टिस ने कहा कि जब हम दिल्ली हाईकोर्ट में थे, तो दिल्ली हाईकोर्ट को भी Waqf की प्रॉपटी बताया गया था. सीजेआई ने कहा कि हालांकि आप हमारी बात को गलत तरीके से मत लीजिए. हमारा यह कहने का मतलब नहीं है कि  Waqf by User से सारी प्रॉपर्टी को गलत तरीके से रजिस्टर्ड किया गया है.

'हाईकोर्ट के पास भेजने से होगा फायदा'

चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया ने कहा,"वक्फ कानून के मसले पर सुनवाई के लिए हाईकोर्ट भेज सकते हैं, ऐसी सूरत में हमें इस बात का फायदा मिलेगा कि जब केस हमारे पास आएगा, तो हमारे पास हाईकोर्ट का एक जजमेंट भी होगा."

सुप्रीम कोर्ट से अभिषेक मनु सिंघवी वक्फ कानून के कुछ हिस्सों पर रोक लगाने की मांग की. उन्होंने कहा कि "नए कानून के कुछ प्रावधान अभी लागू हो जाएंगे. हम पूरे एक्ट पर रोक की मांग नहीं कर रहे हैं, पर इसके कुछ हिस्से पर रोक की मांग कर रहे हैं." याचिकाकर्ताओ की ओर से सीनियर वकील सी यू सिंह, संजय हेगड़े और दूसरे वकीलों ने भी नए कानून के विरोध में अपनी दलील कोर्ट के सामने पेश की.

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