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UP Conversion Case: उमर गौतम और कलीम सिद्दीकी को हुई उम्रकैद की सजा, धर्मांतरण से जुड़ा है मामला

UP Conversion Case: आतंकवाद निरोधी दस्ते (एटीएस) की विशेष कोर्ट ने धर्मांतरण मामले में आरोपी उमर गौतम समेत 15 लोगों के खिलाफ बड़ा फैसला सुनाया है. पूरी खबर पढ़ने के लिए नीचे स्क्रॉल करें.

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UP Conversion Case: उमर गौतम और कलीम सिद्दीकी को हुई उम्रकैद की सजा, धर्मांतरण से जुड़ा है मामला
Tauseef Alam|Updated: Sep 11, 2024, 05:45 PM IST
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UP Conversion Case: उत्तर प्रदेश पुलिस के आतंकवाद निरोधी दस्ते (एटीएस) की विशेष कोर्ट ने 10 सितंबर को अवैध धर्मांतरण मामले में आरोपी उमर गौतम और 15 दूसरे को दोषी ठहराया था. आज यानी 11 सितंबर को कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाते हुए उमर गौतम और कलीम सिद्दीकी को उम्रकैद की सजा सुनाई है.

4 लोगों को हुई 10 साल की सजा
कोर्ट ने दूसरे 4 आरोपियों राहुल भोला, मन्नू यादव, कुणाल अशोक चौधरी और सलीम को उन पर लगाई गई धाराओं के मुताबिक, 10 साल कैद और जुर्माने की सजा सुनाई है. कोर्ट ने कल इन सभी को दोषी करार दिया था और आज यानी 11 सितबंर को सजा का ऐलान किया. 

इन धाराओं में दर्ज है मुकदमा
एनआईए एटीएस कोर्ट के जज विवेकानंद शरण त्रिपाठी ने सभी को भारतीय दंड संहिता की धारा 417, 120बी, 153ए, 153बी, 295ए, 121ए, 123 और अवैध धर्मांतरण अधिनियम की धारा 3, 4 और 5 के तहत दोषी ठहराया. इस मामले के एक आरोपी इदरीस कुरैशी को इलाहाबाद हाईकोर्ट से स्टे मिल चुका है.

इन लोगों को बनाया गया है मुजरिम
मोहम्मद उमर गौतम के अलावा इस मामले में दोषी ठहराए गए अन्य आरोपियों में मौलाना कलीम सिद्दीकी, प्रकाश रामेश्वर कावड़े उर्फ ​​आदम, कौशर आलम, भूप्रिया बंधो उर्फ ​​अरसलान मुस्तफा, डॉ. फराज बाबुल्लाह शाह, मुफ्ती काजी जहांगीर आलम काजमी, इरफान शामिल हैं। शेख उर्फ ​​इरफान खान, राहुल भोला उर्फ ​​राहुल अहमद, मन्नू यादव उर्फ ​​अब्दुल मन्नान, सलाउद्दीन जैनुद्दीन शेख, अब्दुल्ला उमर, मो. सलीम, कुणाल अशोक चौधरी, धीरज गोविंद राव जगताप और सरफराज अली जाफरी.

क्या है पूरा मामला
उत्तर प्रदेश पुलिस के मुताबिक, मोहम्मद उमर गौतम को मुफ़्ती काजी जहाँगीर आलम कासमी के साथ 20 जून 2021 को दिल्ली के जामिया नगर से गिरफ़्तार किया गया था. पुलिस ने बताया कि वे एक ऐसा संगठन चला रहे थे जो यूपी में मूक-बधिर छात्रों और ग़रीब लोगों को इस्लाम में धर्मांतरित करने में शामिल था और इसके लिए उन्हें पाकिस्तान की ख़ुफ़िया एजेंसी ISI से धन मिलने का संदेह था. उत्तर प्रदेश पुलिस के एक सीनियर अधिकारी ने तब कहा था कि लखनऊ के ATS थाने में एक एफ़आईआर दर्ज होने के बाद उत्तर प्रदेश ATS ने ये गिरफ़्तारियाँ की थीं.

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