Madarsa: उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा बोर्ड ने राज्य के सभी जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारियों को एक लेटर लिखा है, जिसमें कुछ अहम प्वाइंट्स के आधार उत्तर प्रदेश में चल रहे मदरसों का ब्यौरा मांगा है. बता दें, यूपी में अवैध मदरसों के खिलाफ लगातार एक्शन जारी है. ऐसे में यह कदम काफी अहम माना जा रहा है.
1- इसमें सैलरी, स्वामित्व और एफसीआरए रजिस्ट्रेश आदि की जानकारी उपलब्ध कराने का निर्देश दिया गया है.
2- मदरसा संख्या, नाम, पता, गांव, इलाका, पुलिस स्टेशन, तहसील, मदरसा स्वीकृत है या नहीं, और मदरसा स्वीकृत है या नहीं, जैसी डिटेल देने के लिए कहा है.
3- इसके साथ ही उन मदरसों की एक अलग लिस्ट तैयार करने के लिए कहा गया है जो एफसीआरए (विदेशी अंशदान विनियमन अधिनियम) के अंतर्गत पंजीकृत नहीं हैं और जिनकी आमदनी और तामीरी काम में इजाफा हो रहा है.
4- इन जानकारियों के साथ ये भी बताने के लिए कहा गया है कि मदरसों ने अपने छात्रों से अपने स्टूडेंट्स से फीस ली है या नहीं और ली है तो कितनी है.
5- मदरसों के साजों सजावट और तामीरी काम में कितना पैसा खर्च किया गया है, ये जानकारी भी देनी होगी.
6- जिन मदरसों के लिए मन्यता के रिन्वील आवेदन मिले हैं, उनके नाम, मदरसे का पता, प्रमुख का नाम, मदरसे का एरिया, मदरसे की जमीन की कीमत, कमरों की कुल तादाद, तामीरी काम की लागत आदि भी दर्ज करने के लिए कहा गया है.
ये सभी जानकारी इंग्लिश में गूगल शीट पर देनी होगी. शिक्षक संगठनों का कहना है कि मांगी गई अधिकांश जानकारी मदरसा पोर्टल पर पहले से ही मौजूद है और बार-बार ऐसा ब्योरा जुटाना मदरसों से जुड़े लोगों को डराने-धमकाने के बराबर है.
उत्तर प्रदेश मदरसा बोर्ड के रजिस्ट्रार आरपी सिंह ने उत्तर प्रदेश अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के निदेशक अनंत कुमार अग्रवाल के जरिए जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारियों को भेजे गए पत्र का भी हवाला दिया है.
रजिस्ट्रार ने अपने पत्र के साथ एक गूगल शीट दी है और उसमें जानकारियां देने के लिए कहा है. अपेक्षा की गई है कि सभी संबंधित सूचनाएं प्राथमिकता के आधार पर मदरसा बोर्ड कार्यालय को उपलब्ध कराई जाएं. सभी जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारियों को अपने-अपने जिलों में संचालित मदरसों का जायजा लेने को कहा गया है.