trendingNow/zeesalaam/zeesalaam02240476
Home >>Muslim News

UP News: बीवी के रहते ‘लिव-इन रिलेशन’में नहीं रह सकता है मुस्लिम शख्स, HC का बड़ा फैसला

Allahabad High Court on live in relationship: इलाहाबाद HC की लखनऊ पीठ ने ‘लिव-इन रिलेशन’ पर एक  महत्वपूर्ण फैसला दिया है. कोर्ट ने क्यों कहा कि कोई भी मुस्लिम व्यक्ति बीवी के रहते ‘लिव-इन रिलेशन’ में रहने के अधिकार का दावा नहीं कर सकता. जानने के लिए पूरी खबर पढ़ें. 

Advertisement
UP News: बीवी के रहते ‘लिव-इन रिलेशन’में नहीं रह सकता है मुस्लिम शख्स, HC का बड़ा फैसला
Tauseef Alam|Updated: May 09, 2024, 08:55 AM IST
Share

Allahabad High Court on live in relationship: इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने ‘लिव-इन रिलेशन’ पर एक  महत्वपूर्ण फैसला दिया है. कोर्ट ने कहा, "कोई भी मुस्लिम व्यक्ति बीवी के रहते ‘लिव-इन रिलेशन’ में रहने के अधिकार का दावा नहीं कर सकता." इस्लाम इस तरह के संबंध की इजाजत नहीं देता." यह आदेश जस्टिस ए.आर. मसूदी और न्यायमूर्ति एके श्रीवास्तव प्रथम की खंडपीठ ने स्नेहा देवी और मोहम्मद शादाब खान के जरिए दायर एक रिट याचिका पर दिया.

याचिका में दोनों ने इस मामले में दर्ज मुकदमा को रद्द करने और ‘लिव-इन रिलेशन’ में रहने के दौरान सुरक्षा मुहैया कराने की गुजारिश की थी. अपने आदेश में कोर्ट ने कहा, "रूढ़ियां और प्रथाएं भी विधि के समान श्रोत हैं और संविधान का आर्टिकल 21 ऐसे रिश्ते के अधिकार को मान्यता नहीं देता जो रूढ़ियों व प्रथाओं से प्रतिबंधित हो. इन टिप्पणियों के साथ कोर्ट ने पुलिस को आदेश दिया कि स्नेहा देवी को सुरक्षा में उसके माता-पिता के पास पहुंचा दिया जाए. 

क्या है पूरा मामला
याचिकर्ताओं का कहना था कि वे बालिग हैं और अपनी मर्जी से ‘लिव-इन रिलेशनशिप’ में रह रहे हैं. बावजूद युवती के भाई ने अपहरण का इल्जाम लगाते हुए मामला दर्ज कराई है. याचिका में दर्ज मुकदमे को चुनौती दी गई, साथ ही याचिकाकर्ताओं के शांतिपूर्ण जीवन में दखल न दिए जाने का आदेश पारित करने का गुजारिश की. सुनवाई के दौरान कोर्ट के सामने आया कि शादाब की शादी 2020 में फरीदा खातून से हुई, जिससे उसे एक बच्ची भी है. फरीदा इस वक्त अपने माता पिता के साथ मुंबई में रह रही है.

इन मामलों में आर्टिकल 21 के तहत नहीं मिलती है सुरक्षा का अधिकार
मामले के तथ्यों पर गौर करने के बाद कोर्ट ने कहा कि संविधान का आर्टिकल 21 उन प्रकार के मामलों में सुरक्षा का अधिकार नहीं देता है, जिनमें रूढ़ियां और प्रथाएं भिन्न-भिन्न मत वाले व्यक्तियों को कोई कृत्य करने से मना करती हों. क्योंकि संविधान का आर्टिकल 13 रूढ़ियों और प्रथाओं को भी कानून मानता है. कोर्ट ने कहा, "चूंकि इस्लाम शादीशुदा मुसलमान व्यक्ति को ‘लिव इन रिलेशनशिप’ में रहने की इजाजत नहीं देता, इसलिए याचिकाकर्ताओं को ‘लिव इन रिलेशन’ में रहने के दौरान सुरक्षा पाने का कोई अधिकार नहीं है." कोर्ट ने कहा कि संवैधानिक नैतिकता और सामाजिक नैतिकता में सामंजस्य बनाए जाने की जरूरत है ताकि समाज में शांति कायम रह सके और सामाजिक ताना बाना बना रहे.

Read More
{}{}