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Muslim News: मुसलमानों के हिंदी नाम वाले ढाबे से किसे और क्यों है दिक्कत; क्यों नाराज़ है UP के मंत्री ?

उत्तर प्रदेश में हाईवे के पास हिंदी या हिन्दू देवी- देवताओं के नाम पर होटल चलाने वाले मुस्लिम कारोबारियों के खिलाफ सरकार में मंत्री कपिल देव अग्रवाल ने नाराज़गी जताई है और स्थानीय प्रशासन से इसे रोकने की मांग की है.. आइये जानते हैं, इस पूरे मामले में क्या कहते हैं सम्बंधित पक्ष? 

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Muslim News: मुसलमानों के हिंदी नाम वाले ढाबे से किसे और क्यों है दिक्कत; क्यों नाराज़ है UP के मंत्री ?
Dr. Hussain Tabish|Updated: Jul 08, 2024, 11:28 PM IST
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नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश सरकार के मंत्री और मुज़फ्फर नगर से भाजपा के विधायक कपिल देव अग्रवाल ने मुसलमानों के हिंदी नाम और हिंदू देवी देवताओं के नाम से चलाए जा रहे ढाबा का नाम बदलने और उनके खिलाफ कार्रवाई की मांगकर एक नई बहस छेड़ दी है. उन्होंने कहा है कि जो मुसलमान हिंदू देवी देवताओं के नाम से ढाबा चला रहे हैं, वह दरअसल ग्राहकों को  दिगभ्रमित क्र रहे हैं. वह हिन्दू ग्राहकों को लुभाने के लिए इस तरह के नाम रखते है. यहाँ तक कि कुछ होटल संचालक मंदिर के अन्दर हिन्दू देवी-देवताओं की तस्वीरें भी लगा रखी है. 
इस दिशा में प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ ने भी संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिया है कि वो ये सुनिश्चित करें कि ढाबा संचालक साफ अक्षरों में वहां अपना नाम भी होटल के नाम के साथ दर्ज करे. 

मुस्लिम ढाबा संचालक 

इस वक़्त क्यों उठाया गया मुद्दा 
यह मुद्दा इस वक़्त उठाया गया है जब उत्तर भारत की सबसे बड़ी धार्मिक कावड़ यात्रा 22 जुलाई से शुरू हो रही है. कांवरिया हरिद्वार से गंगाजल लेकर प्रदेश के अलग-अलग जिलों में जाते हैं. अक्सर कांवरिया हाईवे से गुज़रते हैं, जहाँ रास्ते में उन्हें खाने- पीने और आराम करने के लिए ठहरना पड़ता है. मेरठ, मुज़फ्फर नगर, कन्नोज और बिजनौर के नजीबाबाद ,कोतवाली, नगीना,  हाईवे पर अकबरावाद ,दौलताबाद, गुनियापुर, हुसैनाबाद, गौसपुर इलाके में ऐसे कई होटल हैं, जिसे हिंदी नाम या फिर हिंदू देवी देवताओं के नाम से चलाए जा रहे हैं.  मंत्री कपिल देव अग्रवाल ने दलील दी है कि मुस्लिम द्वारा संचालित होने वाले हिंदू देवी-देवताओं के नाम और फोटो वाले ढाबों पर कावड़िया और सनातन धर्म को मानने वाले लोग वैष्णो ढाबा समझकर खाना खाते हैं. इस धार्मिक यात्रा के दौरान कावड़ियों को मीट-मसाले से लेकर लहसुन और प्याज तक से परहेज करना होता है. ऐसे में उनकी भावनाएं आहत हो सकती हैं. इसलिए किसी झगड़े और विवाद से बचने के लिए सभी मुस्लिम ढाबा संचालक को अपना नाम बाहर लिखना चाहिए."

हिमालयन ढावा, पंजाबी ढाबा और न्यू पंजाबी रेस्टोरेंट नाम से भी है आपत्ति 
बिजनौर जिले में  देहरादून नैनीताल हाईवे पर बीस से ज्यादा ढावे और होटल हिंदु देवी देवताओ और धार्मिक नामों से मुस्लिम समाज के लोगो द्वारा चलाए जा रहे है.  मुस्लिम समुदाय के लोगो ने श्री खाटू श्याम ढावा, नीलकण्ठ फैमिली रेस्टोरेंट, हिमालयन ढावा, सैनी रेस्टोरेंट, पंजाबी ढाबा, न्यू पंजाबी रेस्टोरेंट ,शिव ढावा के नाम से अपना होटल खोल रखा है. इनमें से कुछ होटलों में  वेज और नॉन वेज दोनों प्रकार का खाना मिलता है. इसे मंत्री कपिल देव अग्रवाल हिन्दुओ की आस्था से खिलवाड़ बता रहे हैं. हिमालयन ढावा, पंजाबी ढाबा और न्यू पंजाबी रेस्टोरेंट एक सामान्य नाम है लेकिन मंत्री कपिल देव अग्रवाल को इससे भी दिक्कत है. 

मुस्लिम ढाबा संचालक 

क्या कहते हैं मुस्लिम ढाबा संचालक? 

सहारनपुर में अंबाला रोड हाईवे पर जनता वैष्णो ढाबा चलाने वाले  मुस्लिम मोहम्मद अनस सिद्दीकी ने बताया,  " हम अपने परिवार के लोगों के साथ पिछले 15 वर्ष से इस ढाबे को चला रहे हैं. बाईपास बनने से अब इस ढाबे के सामने से ट्रकों का आना कम हो गया है, जिस वजह से कमाई कम हो गई है, लेकिन कावड़ के दिनों ग्राहक बढ़ जाते हैं. वो अपने ढाबे के बाहर कावड़ रखने का लकड़ी का स्टैंड भी बनाते हैं, ताकि कावड़ियों को किसी तरह की कोई दिक्कत न हो. वह कांवड़ियों को चाय पराठा सर्व करते हैं. अनस सिद्दीकी इसे सांप्रदायिक सौहार्द का प्रतीक मानते हैं.  जब अनस सिद्दीकी से पूछा गया कि आप मुस्लिम हैं, और ढाबा हिंदू नाम से चलाते हैं, तो उन्होंने कहा कि हमें कभी इस नाम से कोई परेशानी नहीं हुई.  हालांकि, अनस ने ऐसा करने के पीछे का मकसद नहीं बताया. बिजनौर में ढाबा संचालक  इरशाद, मोहम्मद यूसुफ, वसीम और  इशाक भी हिंदी नामों के साथ ढाबा चलाते हैं. 

मुस्लिम कारोबारी का ढाबा 

खाटू श्याम नाम से ढाबा चलाने वाले इरशाद कहते हैं, कि इस होटल का दूसरा पार्टनर एक हिन्दू है और उसका दोस्त है, इसलिए इस ढाबे का नाम हिन्दू देवता पर रखा गया है. हालांकि, किसी हिंदी नाम या हिन्दू देवता के नाम पर चलने वाले मुसलमान कारोबारी के होटल से किसी हिन्दू- देवी- देवता की मूर्ती या तस्वीर मिलने का कोई प्रमाण नहीं मिला है. ऐसा अभी सिर्फ आरोप लगाया गया है. यहाँ सालों से मुसलमान अपनी ज़मीन में होटल खोलकर अपना कारोबार कर रहे हैं.  न कभी किसी ग्राहक ने कोई शिकायत की है, न कभी यहाँ किसी लड़ाई- झगड़े को कोई मामला सामने आया है.. आखिर एक होटल संचालक अपने ग्राहकों से विवाद क्यों करेगा? इन नामों से साफ़ जाहिर है, कि मुस्लिम होटल कारोबारी ऐसा नाम फायदे के लिए रखते होंगे ताकि उनके होटल, ढाबा या रेस्तुरेंट्स में हर तरह के ग्राहक आ सके और उनके कारोबार में मुनाफा हो.. 

मौलाना शहाबुद्दीन बरेलवी, राष्टीय अध्यक्ष, आल इंडिया मुस्लिम जमात

धोखा देकर कारोबार करना गलत लेकिन हिंदी नामों पर सवाल उठाना भी ठीक नहीं 
इन तमाम मसले पर आल इंडिया मुस्लिम जमात के राष्ट्रीय अध्यक्ष, मौलाना शहाबुद्दीन बरेलवी कहते हैं, " कांवड़ यात्रा के दरमियान मुसलमान ढाबों की शक्ल में भगवान का बैनर लगाकर तिजारत करते हैं. इस तरह के काम मुसलमान न करें, शरियत की रौशनी में ये सरासर ग़लत है, और अखलाखी तौर पर भी ग़लत है. झूठ बोलकर या किसी को धोखा देकर तिजारत करने से इस्लाम मना करता है. आज कल का माहौल ऐसा हो गया है कि छोटी-छोटी बातों पर हिन्दू- मुस्लिम विवाद खड़ा हो जाता है. इससे मुसलमान बचने की कोशिश करें." मौलाना शहाबुद्दीन बरेलवी आगे कहते हैं, जो मुसलमान ऐसा कर रहे हैं, वो गलत है. लेकिन इसपर सवाल उठाना भी ठीक नहीं है.. ये उनके रोजी- रोटी का हक़ छीने जैसा है. मुल्क में ऐसे कई मजार हैं जहाँ हमारे हिन्दू भाई अपना कारोबार करते हैं, लेकिज आजतक किसी मुसलमान ने इसे गलत नहीं बताया न इसपर ऐतराज जताया. ये आपसी सौहार्द्र और भाईचारे का मामला है, इसे बिगाड़ना ठीक नहीं है. 

ये मुसलमानों  को आर्थिक तौर पर कमजोर करने की साजिश का हिस्सा है 

इस मुद्दे पर दिल्ली में रहने वाले सोशल एक्टिविस्ट डॉक्टर जावेद आलम कहते हैं, " यहाँ मामला सिर्फ हिन्दू देवी- देवताओं के नाम पर ढाबा चलाने का नहीं है.. अगर ऐसा होता तो हिमालयन ढावा, फैमिली रेस्टोरेंट, पंजाबी ढाबा, न्यू पंजाबी रेस्टोरेंट जैसे नामों पर सवाल नहीं उठाये जाते. इन नामों से भला किसी और क्यों दिक्कत हो सकती है.  हिमालयन, फैमिली रेस्टोरेंट, पंजाबी ढाबा और न्यू पंजाबी रेस्टोरेंट जैसे नामों पर किसी का कोई पेटेंट नहीं है. ये एक तरह से मुसलमानों का आर्थिक बहिष्कार करने की सोची- समझी साजिश और रणनीति का हिस्सा है. मुसलामानों को नौकरी और कारोबार से बहार कर उन्हें कमज़ोर करने का आरएसएस का पुराना अजेंडा है, उसी पर उसके मंत्री और विधायक काम कर रहे हैं.   

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