Shia Muslim in JPC Meeting: वक्फ संसोधन विधेयक पर संयुक्त संसदीय समिति की बैठक जारी है. हाल ही में उत्तर प्रदेश के लखनऊ में मुस्लिम संगठनों के साथ समिति की मीटिंग हुई. इस मीटिंग में शिया मुसलमानों ने अपना पक्ष रखा है. बैठक में शिया वक्फ बोर्ड के पदाधिकारी और दीगर मुस्लिम संगठनों के प्रतिनिधि तथा सरकार के नुमाइंदे शामिल हुए.
कौन लोग कर रहे विरोध?
बैठक में शामिल हुए उत्तर प्रदेश के अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री ओमप्रकाश राजभर ने एक न्यूज एजेंसी को बताया कि बैठक में जेपीसी सदस्यों के सामने वक्फ संपत्तियों से जुड़े पक्षकारों ने अपनी-अपनी बात रखी. राजभर के मुताबिक "सरकार की मंशा बिल्कुल साफ है. वह वक्फ संपत्तियों का लाभ गरीब मुसलमानों को भी देना चाहती है." उन्होंने किसी का नाम लिए बगैर कहा, "जिन लोगों ने वक्फ की जमीनों पर अवैध कब्जा किया है, वे ही वक्फ संशोधन विधेयक का विरोध कर रहे हैं."
उत्तर प्रदेश वक्फ के अध्यक्ष ने क्या कहा?
बैठक में शामिल रहे उत्तर प्रदेश शिया वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष अली जैदी के मुताबिक उन्होंने बैठक में अपना पक्ष रखा. जैदी ने बताया कि उन्होंने खासकर 'वक्फ बिल इस्तेमाल' संपत्तियों के भविष्य को लेकर व्याप्त अनिश्चितता को जेपीसी के सामने रखा है. उन्होंने बताया कि वक्फ संशोधन विधेयक के मसविदे में 'वक्फ बिल इस्तेमाल' संपत्तियों को वक्फ की श्रेणी से बाहर करने की बात कही गई है, ऐसे में सवाल यह है कि अगर ऐसा किया गया तो उन संपत्तियों का क्या होगा, उनका प्रबंधन कौन करेगा.
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वक्फ करता है संपत्तियों का रखरखाव
जैदी ने आगे बताया कि उन्होंने जेपीसी के सामने यह बात रखी कि सारी दरगाहें, कर्बलाएं, इमामबाड़े, खानकाहें और कब्रिस्तान ऐसी सम्पत्तियां हैं, जो इस्तेमाल में आती हैं, लेकिन वक्फ के रूप में लिखित रूप से दर्ज नहीं हैं. उनका कहना था कि हालांकि वे इस्तेमाल के लिहाज से वक्फ में ही आती हैं और उनका प्रबंधन वक्फ अधिनियम के जरिए ही होता है. शिया वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष ने कहा कि और कई कानूनी पहलू हैं, जिन्हें उन्होंने जेपीसी के सामने रखा है.
इसलिए बनाई JPC
उन्होंने बताया कि बैठक में जेपीसी के अध्यक्ष जगदंबिका पाल के साथ-साथ सांसद ए. राजा, इमरान मसूद, असदुद्दीन ओवैसी, मुहिबुल्लाह नदवी और राज्य सरकार के दीगर प्रतिनिधि शामिल थे. जेपीसी का गठन संसद में वक्फ संशोधन विधेयक 2024 के पारित नहीं हो पाने के बाद किया गया था. जेपीसी ने हाल के महीनों में देश के कई राज्यों में बैठकों के जरिए वक्फ से जुड़े दीगर पक्षों के साथ विचार-विमर्श करके उनकी आपत्तियों को जानने की कोशिश की है. जेपीसी को आगामी 31 जनवरी को अपनी रिपोर्ट संसद के समक्ष प्रस्तुत करनी है.