Varanasi: वाराणसी के दालमंडी में सड़क के विस्तार करने के प्लान से परेशान इलाके के लोगों और व्यापारियों को बड़ी राहत मिली है. इस इलाके में ज्यादातर मुस्लिम समाज के लोग रहते हैं, जो इस योजना से काफी परेशान थे. अब हाईकोर्ट से उन्हें बड़ी राहत मिली है. एचसी ने कहा है कि दालमंडी में कोई तोड़-फोड़ का काम नहीं किया जाएगा.
कोर्ट ने कहा जब तक व्यापारियों और जमींदारों की सहमति नहीं मिलती है या सरकार भूमि अधिग्रहण अधिनियम, 2013 के तहत प्रस्तावित भूमि पर कब्जा नहीं ले लेती तब तक इलाके में कोई तोड़फोड़ नहीं की जाएगी. यह एक्ट कहता है कि अगर सरकार किसी की जमीन पर कब्जा करती है तो उसे उचित मुआवजा दिया जाएगा और उसे रीसेटल किया जाएगा.
वाराणसी के दालमंडी इलाके के लोगों के जरिए दायर याचिकाओं में मांग की गई थी कि बिना मुआवजा दिए घरों और दुकानों को गिराने पर रोक लगाई जाए. कोर्ट ने यह माना कि किसी भी कंस्ट्रक्शन को तब तक नहीं गिराया जाना चाहिए जब तक कि राज्य सरकार कानूनी तौर पर प्रॉपर्टी का अधिग्रहण न कर ले और मुआवजा न दे दे, या आपसी सहमति से ऑनरशिप ट्रांसफर न हो जाए.
पिटीशनर्स ने कहा था कि अगर सड़क की चौड़ाई एक मीटर कर दी गई तो पूरा बाजार गायब हो जाएगा और मुआवजा दिए बिना ही उन्हें तोड़ने की धमकी दी जा रही है. पिछली सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने सरकार और वाराणसी जिला प्रशासन से जवाब मांगते हुए मुआवजे पर भी सवाल उठाया था.
जिसके बाद वाराणसी के जिलाधिकारी ने हलफनामा दाखिल कर बताया था कि दालमंडी इलाके में सड़क के विस्तार करने का प्लान है, जिसका अनुमानित बजट 22,059.45 लाख रुपये है. हलफनामे में यह भी कहा गया है कि विस्तार के लिए जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया या तो आपसी सहमति से होगी या फिर भूमि अधिग्रहण अधिनियम 2013 के तहत होगी और इस दौरान किसी भी व्यक्ति को उसके कानूनी अधिकारों से वंचित नहीं किया जाएगा.
वाराणसी में काशी विश्वनाथ मंदिर तक श्रद्धालुओं के रास्ते को आसान बनाने के लिए राज्य सरकार ने नई सड़क को चौक से जोड़ने वाली दालमंडी रोड को 7 मीटर (56 फीट) चौड़ा करने का फैसला लिया है. इस विस्तार में लगभग 189 मकान, 1,400 से 1,500 दुकानें और 6/10 मस्जिदें तोड़े जाने है.
जिसको लेकर 7 सितम्बर 2024 को वाराणसी नगर निगम की एक टीम पुलिस के साथ दाल मंडी पहुंची थी और नाप-जोख करने, दुकानों की सीढ़ियां हटाने और फुटपाथ के लोहे के फुटिंग हटाने का काम शुरू कर दिया था. स्थानीय निवासियों को बताया गया कि सड़क चौड़ी होगी, रास्ता साफ होगा और श्रद्धालु आसानी से मंदिर तक पहुंच सकेंगे. लेकिन, इस कदम के बाद से इलाके के लोगों में दहशत का माहौल है. कुछ स्थानीय लोगों ने इस संबंध में इलाहाबाद उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था.