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Waqf Act: सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई से पहले कानून के गुण- दोष पर चर्चा; सामने आई इतनी कमियां

Waqf Law 2025: वक्फ अमेंडमेंट बिल को लेकर अलग-अलग वकीलों का रद्देअमल सामने आया है. किसी ने इस बिल को संविधान के खिलाफ करार दिया है वहीं, कुछ वकील इस मामले में सरकार की हिमायत करते दिखाई दिए.

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Waqf Act: सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई से पहले कानून के गुण- दोष पर चर्चा; सामने आई इतनी कमियां
Sami Siddiqui |Updated: Apr 16, 2025, 02:49 PM IST
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Waqf Law 2025: वक्फ अमेंडमेंट बिल 2025 को लेकर सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को अहम सुनवाई जारी है. इस बेहद सेंसिटिव मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट के सीनियर वकीलों की अलग-अलग राय सामने आ रही हैं. कोई इस संशोधन को बिलकुल सही करार दे रहा है और कुछ इसके कई प्रावधानों पर सवा खड़े कर रहा है.

वक्फ कानून पर क्या कह रहे हैं वकील?

सुप्रीम कोर्ट के वकील जलील अहमद ने इस कानून की वैधता पर सवाल उठाते हुए कहा कि नया अमेंडमेंट वक्फ प्रॉपर्टी पर ऐतिहासिक अधिकारों को छीनने जैसा है. उन्होंने कहा कि अमेंडमेंट के मुताबिक, वक्फ प्रोपर्टी से जुड़े सभी दस्तावेज छह महीने के अंदर वक्फ पोर्टल पर अपलोड करने होंगे, जबकि देश में हजारों ऐसी वक्फ प्रोपर्टीज हैं जिनका कोई औपचारिक दस्तावेज या रजिस्ट्रेशन नहीं है, खासतौर पर वे जो 1908 से पहले स्थापित हुई थीं.

ये अमेंडमेंट है गैरकानूनी

उन्होंने इस अमेंडमेंट को गैरकानूनी करार देते हुए कहा कि महज दस्तावेज की कमी के चलते सरकार किसी संपत्ति को अपने कब्जे में नहीं ले सकती. जलील अहमद ने संसद में इस बिल को पारित किए जाने की प्रक्रिया को भी अलोकतांत्रिक बताया और कहा कि पूरी विपक्षी पार्टी ने इसका विरोध किया, लेकिन बहुमत का सहारा लेकर इसे थोप दिया गया.

एडवोकेट प्रदीप ने आर्टिकल 14 का बताया उल्लंघन

एडवोकेट प्रदीप यादव ने इसे संविधान के आर्टिकल 14 का उल्लंघन बताया, जो सभी नागरिकों को समानता का अधिकार देता है. उन्होंने कहा कि वक्फ बिल मुस्लिम समुदाय से जुड़ा धार्मिक विषय है, और इसमें गैर-मुस्लिम मेंबर्स की नियुक्ति की इजाजत देना धार्मिक स्वतंत्रता (अनुच्छेद 25-30) के अधिकारों का उल्लंघन है. 

दूसरे धर्मों के ट्रस्ट का दिया उदाहरण

उन्होंने सवाल उठाया कि जब दूसरे धर्मों के ट्रस्टों में बाहरी लोगों की इजाजत नहीं होती, तो वक्फ में यह प्रावधान क्यों? प्रदीप यादव ने यह भी कहा कि इस संशोधन के जरिए एक कम्यूनिटी को निशाना बनाया जा रहा है और यह भारत को धार्मिक असहिष्णुता की ओर ले जा सकता है. उन्होंने अंतरिम रोक की मांग करते हुए इसे "एंट्री मिस्टेक" बताते हुए सुप्रीम कोर्ट से फौरन हस्तक्षेप की अपील की है.

हिंदू सेना के वकील ने की हिमायत

इस कानून के पक्ष में खड़ी हिंदू सेना की तरफ से पेश हुए वकील वरुण सिन्हा ने इस कानून को लेकर सरकार के पक्ष का समर्थन किया है उन्होंने कहा कि वक्फ अधिनियम 1995 के सेक्शन 40 और सेक्शन 3 का गलत इस्तेमाल पूरे देश में देखने को मिला है, जहां लोगों की जमीनें को बिना किसी सबूत के वक्फ संपत्ति घोषित कर दिया गया. 

उन्होंने मिसाल देते हुए बताया कि बिहार और साउथ भारत के कई गांवों में वक्फ बोर्ड ने मनमाने तरीके से नोटिस भेजकर जमीनों पर कब्जा कर लिया. वरुण सिन्हा ने कहा कि इसी तरह की शिकायतों और दस्तावेज़ी सबूतों के आधार पर केंद्र सरकार ने अमेंडमेंट को जरूरी माना और वक्फ एक्ट में बदलाव किए.

उन्होंने कहा कि संशोधन का मकसद वक्फ बोर्ड के अधिकारों को बैलेंस करना है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि किसी भी शख्स की निजी संपत्ति पर अवैध तौर से दावा न किया जा सके. उन्होंने यह भी कहा कि जो लोग इस संशोधन का विरोध कर रहे हैं, वे केवल राजनीतिक लाभ के लिए धर्म का सहारा ले रहे हैं.

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