Uttar Pradesh News Today: उत्तर प्रदेश की मऊ विधानसभा क्षेत्र से विधायक रहे अब्बास अंसारी की मुश्किलें फिलहाल टली नहीं हैं. दो साल की सज़ा और विधायकी रद्द होने के बाद उनके जरिये दायर अपील पर फैसला अब 21 जून 2025 को आएगा. इस मामले की सुनवाई सोमवार को होनी थी, लेकिन सरकारी वकील ने लिखित आपत्ति दाखिल करने के लिए अतिरिक्त समय मांगा है, जिसे अदालत ने मंज़ूर कर लिया.
यह मामला मऊ की दीवानी कचहरी स्थित फास्ट ट्रैक कोर्ट संख्या-1 (एमपी-एमएलए कोर्ट) में चल रहा है. जज राजीव कुमार वत्स की अदालत में अब्बास अंसारी की ओर से दायर अपील पर सुनवाई लंबित है.
अब्बास अंसारी, उनके भाई उमर अंसारी और गाजीपुर के रहने वाले इलेक्शन एजेंट मंसूर अंसारी के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 506, 171-F, 186, 189, 153-A, 120-B के तहत आरोप पत्र (चार्जशीट) दाखिल किया गया था. प्रास्क्यूटिंग ऑफिसर हरेंद्र सिंह ने कुल 6 गवाहों के जरिये यह मामला अदालत के सामने रखा, जिसके बाद कोर्ट ने अब्बास और मंसूर अंसारी को दोषी ठहराया था.
इस मामले में अब्बास अंसारी को दो साल की सजा सुनाई गई थी. हालांकि, सजा सुनाए जाने के तुरंत बाद उन्हें अंतरिम जमानत मिल गई थी. इस सजा के खिलाफ उनके वकील दरोगा सिंह ने जिला जज की अदालत में अपील दायर की. यह अपील बाद में फास्ट ट्रैक कोर्ट संख्या-1 (MP/MLA कोर्ट) में ट्रांसफर कर दिया गया.
मीडिया में छपी रिपोर्ट के मुताबिक, सोमवार को इस मामले की सुनवाई होनी थी, लेकिन सरकारी वकील ने अपनी लिखित आपत्ति दाखिल करने के लिए अदालत से अतिरिक्त समय मांगा. कोर्ट ने इस आग्रह को मंजूर कर लिया और सुनवाई की अगली तारीख 21 जून 2025 तय कर दी. तब तक के लिए अब्बास अंसारी की जमानत भी बढ़ा दी गई है.
अब सबकी निगाहें 21 जून 2025 पर टिकी हैं कि कोर्ट इस मामले में क्या फैसला लेता है. क्या अब्बास अंसारी की सजा रद्द होगी या उन्हें आगे कोई राहत नहीं मिलेगी, यह देखने वाली बात होगी.
उत्तर प्रदेश और पूरे भारत में किसी भी विधायक या सांसद की विधायकी या सांसद सदस्यता तब रद्द हो जाती है, जब उसे दो साल या उससे अधिक की सजा सुनाई जाती है. यह प्रावधान जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 (Representation of the People Act, 1951) की धारा 8 के तहत आता है.
सुप्रीम कोर्ट ने साल 2013 के एक फैसले के बाद इस नियम को और सख्त कर दिया, जिसके तहत सजा सुनाए जाने की तारीख से ही सदस्यता खुद समाप्त हो जाती है. पहले यह प्रावधान था कि अगर अपराधी जनप्रतिनिधि अपनी सजा के खिलाफ तीन महीने के भीतर अपील करता है, तो उसकी सदस्यता रद्द नहीं होती थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इस प्रावधान धारा 8(4) को रद्द कर दिया. यही वजह है कि दो साल की सजा मिलते ही अब्बास अंसारी की विधायकी रद्द कर दी गई.
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