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Bahraich: सरकारी जमीन पर बनी अवैध मस्जिद को मुसलमानों ने हटाया, प्रशासन ने कमेटी को भेजा था नोटिस

Bahraich Illegal Masjid Case: उत्तर प्रदेश सरकार लगातार अवैध मस्जिद, मदरसों के खिलाफ कार्रवाई कर रही है. हालिया दिनों बहराइच जिले के मोतीपुर तहसील में बनी एक मस्जिद को भी जिला प्रशासन की तरफ से नोटिस भेजा गया था. इस पर मस्जिद कमेटी ने ऐसा कदम उठाया है, जिसकी लोग जमकर तारीफ कर रहे हैं.  

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खलिहान की जमीन पर बने हिस्से को गिराते ग्रामीण
खलिहान की जमीन पर बने हिस्से को गिराते ग्रामीण
Zee Salaam Web Desk|Updated: May 22, 2025, 03:52 AM IST
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Bahraich Masjid News: उत्तर प्रदेश की योगी सरकार लगातार मस्जिद, मदरसे, मजार और ईदगाह के खिलाफ कार्रवाई करने में जुटी है. आलम यह है कि प्रशासन सभी अवैध अतिक्रमण के खिलाफ लगातार अभियान चला रहा है. इसी तरह का मामला बहराइच जिले से सामने आया है. जहां खलिहान की जमीन पर बनी मस्जिद के अवैध हिस्से खुद कमेटी लोगों ने गांव वालों के साथ मिलकर हटा दिया.

यह पूरा मामला बहराइच जिले के मोतीपुर तहसील क्षेत्र के हंसुलिया गांव का है. गांव में खलिहान की जमीन पर बनी एक अवैध मस्जिद को खुद मस्जिद कमेटी और ग्रामीणों ने मिलकर आपसी सहमति से गिरा दिया. इस पूरी घटना की वीडियो अब सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रही है, जिसकी लोग खूब तारीफ कर रहे हैं.

नोटिस मिलने मस्जिद कमेटी का बड़ा फैसला

बता दें, इससे पहले मोतीपुर तहसील क्षेत्र के हंसुलिया गांव में खलिहान की जमीन बनी मस्जिद को अवैध बताते हुए जिला प्रशान ने नोटिस जारी किया था. नोटिस मिलने के बाद मस्जिद कमेटी ने यह फैसला लिया कि वे खुद मिलकर इस अवैध निर्माण को हटाएंगे. इसके बाद गांव के लोगों की मदद से मस्जिद को गिराने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई. 

स्थानीय लोगों ने बताया कि इस मस्जिद का निर्माण सालों पहले किया गया था, लेकिन मस्जिद अवैध भू-भाग पर बनी है इसकी जानकारी नहीं है. इसके उलट कुछ लोगों का दावा है कि मस्जिद का निर्माण बिना किसी कानूनी अनुमति से किया गया था, जो सरकारी जमीन थी.  

इस कदम की हो रही सराहना

कमेटी के सदस्यों ने बताया कि वे प्रशासन के नियमों का सम्मान करते हैं और कानून का पालन करना हर नागरिक का कर्तव्य है. इसी सोच के तहत उन्होंने किसी भी तरह के विवाद से बचते हुए खुद मस्जिद को खुद गिराने का जिम्मा उठाया. 

मस्जिद को गिराने का यह कदम कई लोगों के लिए एक मिसाल बनकर सामने आया है, जहां लोगों ने खुद आगे बढ़कर अवैध निर्माण को खत्म किया. वहीं, इस मामले पर प्रशासन की ओर से अभी तक कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है.

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