trendingNow/zeesalaam/zeesalaam02876288
Home >>Muslim World

Gay संबंधों पर इंडोनेशिया की कोर्ट ने सुनाई खतरनाक सजा; बंद कमरे में हुई केस की सुनवाई!

Indonesia News: इंडोनेशिया के आचे प्रांत की एक शरिया अदालत ने दो समलैंगिक पुरुषों को सार्वजनिक रूप से 80-80 बेंत मारने की सजा सुनाई है. यह धार्मिक कानूनों के तहत दिया गया फैसला है. पूरी खबर पढ़ने के लिए नीचे स्क्रॉल करें.

Advertisement
Gay संबंधों पर इंडोनेशिया की कोर्ट ने सुनाई खतरनाक सजा; बंद कमरे में हुई केस की सुनवाई!
Tauseef Alam|Updated: Aug 11, 2025, 06:14 PM IST
Share

Indonesia News: इंडोनेशिया से एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जहां समलैंगिक यौन संबंध बनाना दो लड़कों को महंगा पड़ गया. शरिया कानून के तहत दोनों को 80-80 बेंत मारने की सज़ा सुनाई गई है. यह फैसला आचेह की एक इस्लामी शरिया अदालत ने सुनाया है.  मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, दोनों युवक 20 और 21 साल के हैं. इसी साल दोनों को अप्रैल में गिरफ्तार किया गया था.

दरअसल, तमन सारी शहर के एक पार्क में सार्वजनिक शौचालय में दोनों एक साथ गए थे, तभी स्थानीय निवासियों ने उन्हें देख लिया. इसके बाद लोगों ने शरिया पुलिस को इस मामले की जानकारी दी. पुलिस ने मौके पर ही दोनों को शौचालय में एक-दूसरे को चूमते और गले लगाते हुए पकड़ लिया. इसके बाद दोनों पर मुकदमा चला. अब कोर्ट ने दोनों को दोषी मानते हुए सजा सुनाई है. 

बंद कमरे में क्यों हुई सुनवाई
दोनों आरोपियों की गिरफ्तारी के बाद बंद कमरे में सुनवाई चल रही थी. यह सुनवाई शरिया अदालत में चल रही थी. आचे के कानूनों के मुताबिक, अगर मामला व्यभिचार या यौन अपराध से जुड़ा हो, तो मुकदमे के दौरान आम जनता को कोर्टरूम में आने की इजाजत नहीं होती है. हालांकि फैसला सुनाए जाने और सजा दिए जाने के समय अदालत जनता के लिए दरवाज़े खोल सकती है.

5वीं बार दी गई है सजा
वहीं, इस मामले में लंबी सुनवाई के बाद कोर्ट ने आज फैसला सुना दिया है और कोर्ट ने दोनों को सार्वजनिक रूप से बेंत मारने की सज़ा दी गई.  यह 2015 के बाद पांचवीं बार है जब आचे में किसी को समलैंगिकता के लिए सार्वजनिक रूप से शारीरिक दंड दिया गया है.

इंडोनेशिया में शरिया कानून
गौरतलब है कि इंडोनेशिया एक मुस्लिम बहुत देश हैं, लेकिन मुल्क के ज्यादातर हिस्सों में धर्मनिरपेक्ष कानून हैं. सिर्फ आचे प्रांत को शरिया कानून लागू करने की अधिकार है. यह अधिकार संघीय सरकार ने दी है और साल 2005 में केंद्र सरकार और आचे के अलगाववादी विद्रोहियों के बीच एक शांति समझौते के तहत दी गई थी. इस समझौते के तहत आचें प्रांत में कुछ हद तक धर्मनिरपेक्ष कानून भी लागू हैं.

Read More
{}{}