Turkey Kurdish Ceasefire: तुर्की और कुर्द लड़ाकों के बीच सालों से चल रही लड़ाई 1 मार्च को समाप्त हो गई, जब कुर्दों ने सीजफायर का ऐलान किया. इस ऐलान के बाद तुर्की और कुर्द के लड़ाई के बीच विस्थापित इराकी कुर्द समुदाय के लोगों को बड़ा राहत मिली है. यहां के लोगों को उम्मीद है कि वह अपने घर जल्द ही लौट जाएंगे.
40 साल से जारी जंग खत्म
दरअसल, कुर्द समुदाय की उम्मीदें तब और बढ़ गईं जब कुर्दिस्तान वर्कर्स पार्टी ने 1 मार्च को तुर्की सरकार के खिलाफ अपने 40 साल लंबे विद्रोह में सीजफायर का ऐलान किया. अगर यह सीजफायर लागू होता है तो यह न सिर्फ पड़ोसी तुर्की के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ होगा, बल्कि दोनों देशों की सीमा पर फैले अस्थिर क्षेत्र में स्थिरता भी ला सकता है.
एक रिफ्यूजी ने सुनाया अपना दर्द
आदिल ताहिर कादिर 1988 में माउंट मतिन स्थित अपने गांव बारची से भाग गए थे, जब इराकी तानाशाह सद्दाम हुसैन ने क्षेत्र की कुर्द आबादी के खिलाफ अभियान शुरू किया था. वह अब एक नए बने गांव में रहता है, जिसका नाम भी बारची है. कादिर ने कहा कि अगर शांति आती है, तो वह तुरंत वापस चले जाएंगे.
तुर्की करता है बमबारी
उन्होंने कहा, "हम चाहते हैं कि यह काम करे ताकि हम वापस लौट सकें.” अन्य विस्थापित सालिहा शिनो ने कहा, “ इस क्षेत्र के आसपास तुर्किये के कई ठिकाने हैं.” उन्होंने कहा, "बमबारी हर दोपहर शुरू होती है और रात में तेज हो जाती है.”
अपनी वजूद की लड़ाई लड़ रहे हैं कुर्द
गौरतलब है कि कुर्द लोग तुर्की के पहाड़ी इलाकों में रहते हैं. कुर्द समुदाय के लोग तुर्की के पहाड़ी इलाकों और सीमावर्ती इलाकों के साथ-साथ इराक, सीरिया, ईरान और आर्मेनिया में भी रहते हैं. यह तुर्की में मौजूद सबसे बड़ा अल्पसंख्यक समुदाय है. तुर्की में कुर्द अपनी स्वायत्तता के लिए लड़ रहे हैं. सीरिया और इराक में भी कुर्द अपनी पहचान के लिए संघर्ष कर रहे हैं.
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