Pakistan News: पाकिस्तान के बलूचिस्तान में सेना अत्याचार कर रही है और बलूच आंदोलन को दबाने के लए बलूचिस्तानियों के साथ दुश्मन जैसा व्यवहार कर रही है. एक रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि इस साल अब तक पाकिस्तानी सैनिकों ने 785 लोगों को गायब कर दिया है. इनमें से 121 लोगों की हत्या कर दी गई. इन हत्याओं के पीछे सेना को जिम्मेदार ठहराया गया है. एक मानवाधिकार संगठन ने इल्जाम लगया है कि औसतन हर दिन चार लोग गायब हो रहे हैं और एक की हत्या हो रही है.
बलूच राष्ट्रीय आंदोलन के मानवाधिकार विभाग, PANK के मुताबिक, इन घटनाओं के पीड़ितों में छात्र, पत्रकार और शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारी शामिल हैं, जिनमें से कई का कराची और इस्लामाबाद जैसे पाकिस्तान के प्रमुख शहरों से अपहरण भी किया गया था. बलूचिस्तान के मानवाधिकार संगठनों का मानना है कि ये हत्याएं और गुमशुदगी पाकिस्तानी सेना और राज्य समर्थित "मौत के दस्तों" द्वारा पूर्ण संरक्षण में की जा रही हैं.
पाकिस्तान के बलूचिस्तान में इस दमन की सबसे ताज़ा घटना 2 अगस्त को सामने आई, जब दिल जान बलूच नाम के एक व्यक्ति की राज्य समर्थित मौत के दस्तों ने न्यायेतर हत्या कर दी. दिल जान बलूच को 22 जुलाई को बलूचिस्तान के केच ज़िले से जबरन गायब कर दिया गया था. रविवार को एक और घटना सामने आई, जब बलूचिस्तान मानवाधिकार परिषद (HRCB) ने बताया कि इनायत खैर मोहम्मद, जिन्हें पिछले साल दिसंबर में जबरन गायब कर दिया गया था. उसकी भी हत्या हो गई.
मानवाधिकार संगठनों ने लगाया संगीन इल्जाम
मानवाधिकार संगठनों का आरोप है कि ये "मौत के दस्ते" बलूचिस्तान में पाकिस्तान के राज्य-समर्थक हितों की रक्षा के लिए बेखौफ होकर काम कर रहे हैं. ये समूह राज्य की नीतियों की आलोचना करने वाली आवाज़ों को दबाने के लिए ये क्रूर कृत्य करते हैं और उनकी गतिविधियों पर कोई औपचारिक निगरानी या न्यायिक हस्तक्षेप नहीं होता है. बलूचिस्तान के लोगों को जबरन हिरासत में रखा जा रहा है.
बलूचिस्तान में कोई नहीं है महफूज
गौरतलब है कि पाकिस्तान के बलूचिस्तान में हालात दिन-ब-दिन बिगड़ते जा रहे हैं, जहां न तो पत्रकारों की आज़ादी सुरक्षित है और न ही आम नागरिकों का जीवन. मानवाधिकार संगठनों का कहना है कि अगर यही स्थिति बनी रही, तो इससे पाकिस्तान के अंतर्राष्ट्रीय संबंधों और उसकी छवि पर गंभीर असर पड़ेगा.