Bangladesh News: बांग्लादेश में इन दिनों एक बड़ा विवाद खड़ा हो गया है. देश के एक सीनियर पुलिस अधिकारी पर अदालती कार्यवाही में दखल देने का इल्जाम लगा है. मामला पूर्व मुख्य न्यायाधीश एबीएम खैरुल हक की गिरफ्तारी से जुड़ा है, जिन्होंने कभी बंगबंधु शेख मुजीबुर रहमान की हत्या के मामले में ऐतिहासिक फैसला सुनाया था.
स्थानीय मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक, ढाका की एक अदालत ने बांग्लादेश के एक सीनियर पुलिस अधिकारी को कारण बताओ नोटिस जारी किया है. यह नोटिस उस समय जारी किया गया जब अदालत में पूर्व मुख्य न्यायाधीश एबीएम खैरुल हक की गिरफ्तारी से संबंधित सुनवाई चल रही थी.
बांग्लादेश के प्रमुख बंगाली अखबार द डेली इत्तेफाक ने सोमवार को अदालती सूत्रों के हवाले से बताया कि ढाका मेट्रोपॉलिटन पुलिस (डीएमपी) के अपराध, सूचना एवं अभियोजन प्रभाग के उपायुक्त (डीसी) तारेक जुबैर को कथित असहयोग के लिए 30 जुलाई तक स्पष्टीकरण देने को कहा गया है. यह आदेश ढाका के अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट मोहम्मद सनाउल्लाह ने जारी किया.
कब दर्ज हुआ था मुकदमा
अदालत के आदेश के मुताबिक, खैरुल हक को 24 जुलाई को ढाका के जत्राबाड़ी पुलिस स्टेशन में दर्ज एक हत्या के मामले में गिरफ्तार किया गया था. अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट चनाउल्लाह को सुनवाई का जिम्मा सौंपा गया था. उस दिन शाम को, डीसी तारिक जुबैर ने कथित तौर पर अपने मोबाइल से जज को फ़ोन किया और आरोपी को अदालत भवन के नीचे एक जेल वैन में बंद रखते हुए सुनवाई करने पर ज़ोर दिया.
डीसी ने जानकारी देने से किया था इनकार
रिपोर्टों से पता चलता है कि जज ने अदालत की छवि बनाए रखने और कार्यवाही पर किसी भी सवाल से बचने के लिए इस प्रस्ताव को ठुकरा दिया. आरोपी को अदालत में पेश करने में देरी के बाद जज ने पुलिस अधिकारी को फ़ोन करके पूछा कि खैरुल को अदालत में पेश करने में कितना समय लगेगा. जब जज ने अनुमानित समय मांगा, तो डीसी ने कोई भी जानकारी देने से साफ़ इनकार कर दिया.उन्होंने जज को इस मामले में डीएमपी के सलाहकार या कमिश्नर से बात करने की भी सलाह दी.
कोर्ट ने क्या दिया आदेश
अदालत के आदेश में कहा गया है कि न्यायिक मामलों में मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट के अधिकार क्षेत्र में काम करने के बावजूद, डीसी ने मामले के संबंध में ज़िम्मेदार मजिस्ट्रेट के साथ सहयोग करने से इनकार करके अपमानजनक और अशिष्ट व्यवहार किया. इसके अतिरिक्त, अदालत ने जिक्र किया कि न्यायिक कार्य में बाधा डालना अदालत की अवमानना के समान है. इसलिए, पुलिस अधिकारी को 30 जुलाई तक यह स्पष्ट करने का निर्देश दिया गया है कि अदालत को अदालती अवमानना की कार्यवाही के लिए बांग्लादेश के सर्वोच्च न्यायालय के महापंजीयक के माध्यम से इस मामले को मुख्य न्यायाधीश के पास क्यों नहीं भेजना चाहिए.
चीफ जस्टिस को बिना बताए किया था गिरफ्तार
पुलिस ने बिना कोई विशेष कारण बताए, पिछले हफ़्ते खैरुल को उनके ढाका स्थित आवास पर गिरफ़्तार किया था. इससे पहले, बांग्लादेश की अवामी लीग पार्टी ने बंगबंधु हत्याकांड में ऐतिहासिक फैसला सुनाने वाले पूर्व मुख्य न्यायाधीश खैरुल की "अन्यायपूर्ण" गिरफ़्तारी की निंदा की थी और इसे मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार के तहत "चल रहे दमन" का हिस्सा बताया था.