Bangladesh News: बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के तख्तापलट के बाद मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व में अंतरिम सरकार का गठन किया गया है. शेख हसीना के तख्तापलट के बाद नियुक्त अंतरिम सरकार के खिलाफ असंतोष बढ़ रहा है. इस बीच देश की एक प्रमुख राजनीतिक पार्टी के हजारों छात्रों और युवाओं ने आज आम चुनाव कराने के लिए राजधानी ढाका में एक बड़ी रैली का आयोजन किया. इन प्रदर्शनकारियों ने दिसंबर में आम चुनाव कराने की मांग की.
दरअसल, पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया की अध्यक्षता वाली बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी या बीएनपी से जुड़े तीन संगठनों के कार्यकर्ता कड़ी सुरक्षा के बीच पार्टी मुख्यालय के बाहर सड़कों पर इकट्ठा हुए. बुधवार की रैली कई हफ्तों के राजनीतिक तनाव के बाद आयोजित की गई थी, जब अंतरिम नेता और नोबेल शांति पुरस्कार विजेता मुहम्मद यूनुस ने पद छोड़ने की धमकी दी थी और प्रभावशाली सैन्य प्रमुख ने दिसंबर में चुनाव के लिए सार्वजनिक रूप से अपना समर्थन घोषित किया था.
चुनाव कराने का बढ़ रहा है दबाव
कई सालों से अस्वस्थ चल रही खालिदा जिया हाल ही में लंदन में चार महीने इलाज कराने के बाद बांग्लादेश लौटी हैं, जिससे बांग्लादेश की अंतरिम सरकार पर चुनाव कराने का और दबाव बढ़ गया है. जिया की कट्टर प्रतिद्वंद्वी हसीना पिछले साल बड़े पैमाने पर विद्रोह के बाद से भारत में निर्वासन में हैं. उनकी पार्टी अवामी लीग पर भी अंतरिम सरकार ने प्रतिबंध लगा दिया था.
यूनुस सरकार का क्यों हो रहा है विरोध
वहीं, पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया के बड़े बेटे तारिक रहमान लंदन में निर्वासन में रह रहे हैं. आज उन्होंने वीडियो कॉल पर बांग्लादेश में प्रदर्शन कर रहे प्रदर्शनकारियों को संबोधित किया. बांग्लादेश में बीते कुछ हफ्तों से माहौल तनावपूर्ण है। वहां सिविल सेवक, प्राथमिक स्कूल के शिक्षक और नेशनल रेवेन्यू सर्विस के कर्मचारी लगातार विरोध कर रहे हैं. इन प्रदर्शनों ने अंतरिम सरकार की मुश्किलें बढ़ा दी हैं.
यूनुस सरकार पर संगीन इल्जाम
बांग्लादेश के प्रमुख व्यापारिक संगठनों ने सरकार की आर्थिक नीतियों और मज़दूर वर्ग से जुड़े मुद्दों को लेकर अंतरिम सरकार के मुखिया यूनुस पर सवाल उठाए हैं. व्यापारिक निकायों का कहना है कि देश की अर्थव्यवस्था कमजोर हो रही है और लगातार बढ़ती श्रमिक अशांति से हालात और बिगड़ते जा रहे हैं. यूनुस जब सत्ता में आए थे, तब उन्होंने चुनावी नियमों, महिला अधिकारों और प्रशासन में बड़े सुधार करने का वादा किया था लेकिन उनकी आलोचना करने वालों का मानना है कि वो इन सुधारों को जानबूझकर टाल रहे हैं ताकि सत्ता में बने रह सकें.