Bangladesh News: बांग्लादेश अल्पसंख्यक मानवाधिकार कांग्रेस (HRCBM) नामक एक संगठन ने देश के उच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका (PIL) दायर की है, जिसमें इल्जाम लगाया गया है कि बांग्लादेश में हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यकों को झूठे आपराधिक मामलों में फंसाया जा रहा है. इस याचिका का उद्देश्य देश में अल्पसंख्यकों के खिलाफ हो रहे कानूनी शोषण को उजागर करना और उन्हें न्याय दिलाना है.
संगठन का कहना है कि यह सिर्फ़ एक क़ानूनी कदम नहीं, बल्कि न्याय की पुकार है. संगठन के मुताबिक, बांग्लादेश में 39 लाख से ज़्यादा मामले लंबित हैं और क़ानून को हथियार बनाकर अल्पसंख्यकों को निशाना बनाया जा रहा है. संत चिन्मय कृष्ण ब्रह्मचारी का एक बड़ा उदाहरण दिया गया है, जो बिना किसी ठोस सबूत के इस समय जेल में हैं. उनके ख़िलाफ़ पहले देशद्रोह का झूठा मामला दर्ज किया गया, जबकि क़ानून के अनुसार ऐसा मामला सिर्फ़ सरकार ही दर्ज कर सकती है, कोई आम आदमी नहीं. इसके बावजूद उन्हें गिरफ़्तार करके जेल में डाल दिया गया.
संगठन ने कहा कि चिन्मय जी की ज़मानत याचिका सुप्रीम कोर्ट में लंबित है, लेकिन महीनों से कोई सुनवाई नहीं हुई है. इस बीच, उन पर हत्या जैसे मनगढ़ंत आरोप भी लगाए गए हैं. एचआरसीबीएम ने सवाल उठाया, "क्या उनका दोष सिर्फ़ इतना है कि उन्होंने सरकार के सामने सच बोला और गरीबों व अल्पसंख्यकों की आवाज़ उठाई?"
संगठन ने कहा कि उसने पिछले कुछ महीनों में दर्ज ऐसे 15 मामलों की जांच की है, जिनमें 5700 से ज़्यादा लोग फंसे हैं. इनमें से कई लोगों के ख़िलाफ़ कोई ठोस आरोप नहीं हैं. यह चलन ख़ास तौर पर चटगांव जैसे इलाकों में बढ़ा है, जहां पुलिस और स्थानीय गुंडे मिलकर अल्पसंख्यकों को डराने के लिए ये मामले दर्ज कर रहे हैं.
याचिका में अदालत से मांग की गई है कि बिना जांच के एफ़आईआर दर्ज करने की प्रक्रिया बंद की जाए और ऐसे मामलों में प्रारंभिक जांच अनिवार्य की जाए. साथ ही, जानबूझकर झूठे मामले दर्ज करने वाले अधिकारियों के ख़िलाफ़ कड़ी कार्रवाई की जाए. एचआरसीबीएम ने सरकार से एक न्यायिक आयोग बनाने की भी मांग की है, जो झूठे मामलों की जांच करके अपनी रिपोर्ट पेश करेगा.