Islamic Rule in Spain: यूरोप के जिस देश, स्पेन पर मुसलमानों ने लगभग 700 सालों तक शासन किया, उसी मुल्क में अब वह किसी पब्लिक प्लेस पर किसी तरह का इस्लामिक त्योहार नहीं मना पाएंगे.
दरअसल, दक्षिण-पूर्व स्पेन के मर्सिया इलाके के एक शहर जुमिला की एक स्थानीय परिषद ने ईद-उल-फितर और ईद-उल-अज़हा जैसे मुस्लिम धार्मिक त्योहारों को पब्लिक प्लेस, प्ले ग्राउंड या सार्वजनिक सुविधा हासिल जगहों पर मनाने से रोक दिया है. हालांकि, अभी ये एक सिर्फ प्रस्ताव है. इस प्रतिबंध प्रस्ताव के पक्ष में दलील दी गई है कि सार्वजनिक जगहों का इस्तेमाल स्पेन की पहचान से अलग अन्य धर्मिक, सामाजिक और सांस्कृतिक गतिविधियों के लिए नहीं किया जा सकता.
यह प्रस्ताव रूढ़िवादी पीपुल्स पार्टी (PP) के जरिए पेश किया गया है. वामपंथी दलों ने इसका विरोध किया है.
मुस्लिम संगठनों ने इस फैसले को इस्लामोफोबिया करार दिया है, और अपनी नाराजगी जताई है, जबकि इस फैसले पर जश्न मनाते हुए स्पेन की एक दक्षिणपंथी "वॉक्स पार्टी" ने कहा है कि स्पेन इसाईयों का था, इसाईयों का है और रहेगा. हालांकि, इस प्रस्ताव पर जब वोटिंग हो रही थी, तो वॉक्स पार्टी के प्रतिनिधियों ने वोटिंग में हिस्सा नहीं लिया.
कानूनी विशेषज्ञों और विपक्षी नेताओं ने इस कदम को असंवैधानिक करार दिया है, क्यूंकि स्पेन के संविधान का अनुच्छेद 16 धर्म, विचारधारा और इबादत करने की आज़ादी की गारंटी देता है. हालांकि, इसमें कहा गया है कि सार्वजनिक व्यवस्था बनाए रखने के लिए ज़रूरी होने पर इस आज़ादी को प्रतिबंधित किया जा सकता है.
स्पेन के एक लोकल निकाय के इस प्रस्ताव पर दुनिया भर के इस्लाम विरोधी लोग जश्न मना सकते हैं, लेकिन स्पेन के मुसलामानों के लिए इस तरह के प्रस्ताव कोई नई बात नहीं है. कभी हिजाब पर रोक, तो कभी अन्य इस्लामिक पहचान को ख़त्म करने की कोशिश यहाँ का एक मामूल अमल है.. लेकिन स्पेन के मुसलमान शायद ही ऐसे आदेशों से कभी विचलित होते होंगे.. हाँ, अगर उन्हें किसी बात का दुख है, तो वो है स्पेन में मुसलमानों का 700 सालों का इतिहास, जिसे याद कर न सिर्फ स्पेन बल्कि दुनिया भर के मुसलमान ग़मगीन हो जाते हैं..
स्पेन में इस वक़्त 7 फीसदी मुस्लिम आबादी है, लेकिन कभी यहाँ इस्लाम और मुसलमानों का दबदबा हुआ करता था. 711 से लेकर 1492 तक मुसलमानों ने स्पेन पर एकछत्र शासन किया है. इस्लामी स्पेन तीन महान एकेश्वरवादी धर्मों मुसलमानों, ईसाइयों और यहूदियों के लोगों का एक बहु-सांस्कृतिक मिश्रण था. यहाँ तक कि इस्लामिक स्पेन को कभी-कभी मुसलमानों, ईसाइयों और यहूदियों के बीच धार्मिक और जातीय सहिष्णुता और अंतर्धार्मिक सद्भाव का 'स्वर्ण युग' कहा जाता है. स्पेन में मुस्लिम काल को 'स्वर्ण युग' कहा जाता है, जहाँ पुस्तकालय, कॉलेज, सार्वजनिक स्नानागार स्थापित किए गए. इसी युग में यहाँ साहित्य, कविता और वास्तुकला का विकास हुआ. मुसलमानों और गैर-मुस्लिमों, दोनों ने इस संस्कृति के उत्कर्ष में महत्वपूर्ण योगदान दिया था.
इसका श्रेय अमीर अब्द अल-रहमान को जाता है, जिन्होंने कॉर्डोबा अमीरात की स्थापना की और स्पेन पर विजय प्राप्त करने वाले विभिन्न मुस्लिम समूहों को एकजुट करके उस पर शासन करने में कामयाब रहे.
हालांकि, कुछ इतिहासकारों का मानना है कि स्वर्ण युग का यह विचार गलत है, क्यूंकि यह 21वीं सदी के ब्रिटेन के मानकों के मुताबिक सहिष्णु नहीं था. इतिहासकार बर्नार्ड लुईस ने लिखा है कि इस्लामी स्पेन में गैर-मुसलमानों की स्थिति एक प्रकार की द्वितीय श्रेणी की नागरिकता थी.
स्पेन में इस्लामी शासन को कुल पांच काल खण्डों में बांटा जा सकता है, आश्रित अमीरात (711-756), स्वतंत्र अमीरात (756-929), खिलाफत (929-1031), अलमोराविद युग (1031-1130) और पतन का काल (1130-1492)
दुनिया के अन्य मुल्कों की तरह स्पेन में भी इस्लामी शासन का पतन की वजह न सिर्फ ईसाई राज्यों की बढ़ती आक्रामकता थी, बल्कि मुस्लिम शासकों के बीच विभाजन के कारण भी शासकों को सत्ता हाथ से गवांनी पड़ी. ग्यारहवीं शताब्दी की शुरुआत में, एकछत्र इस्लामी खिलाफत कई छोटे-छोटे राज्यों में बिखर गई थी, जो इस्लामी सत्ता के विनाश के कारण बने. ईसाई से शिकस्त खाने वाल प्रमुख इस्लामी केंद्र टोलेडो था. इसके बाद मुसलमानों ने अफ्रीका से सेना भेजी, जिसने जनरल यूसुफ बिन तशफिन के नेतृत्व में 1086 में ईसाइयों को करारी शिकस्त दी, और 1102 तक अंडालूसिया के अधिकांश हिस्से पर फिर से कब्ज़ा कर लिया. जनरल यूसुफ ने स्पेन के अधिकांश हिस्से को फिर से एकीकृत करने में कामयाब रहा. लेकिन यह ज़्यादा अरसे तक नहीं चल पाया. यूसुफ की 1106 में मौत हो गयी.
इतिहासकार कहते हैं, "मुस्लिम राज्यों के शासकों ने फिर से एक-दूसरे का गला काटना शुरू कर दिया." 1144 और 1145 के आंतरिक विद्रोहों ने इस्लामी एकता को और भी छिन्न-भिन्न कर दिया, और बीच-बीच में मिली सैन्य सफलताओं के बावजूद, स्पेन पर इस्लाम का प्रभुत्व हमेशा के लिए ख़त्म हो गया. 1492 में मुसलमानों ने अंततः स्पेन में अपनी सारी शक्ति खो दी. 1502 तक ईसाई शासकों ने एक आदेश जारी कर सभी मुसलमानों को ईसाई धर्म अपनाने या फिर स्पेन छोड़कर जाने के लिए बाध्य कर दिया. मुसलमानों पर बेहिसाब ज़ुल्म-सितम किये गए, जिसे याद कर आज भी मुसलमान सिहर उठते हैं!
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