Iran News: ईरान ने हाल ही में चीन से बड़ी तादाद में ठोस ईंधन बनाने वाला सामान मंगवाया है, जिसका इस्तेमाल बैलिस्टिक मिसाइलों में होता है. इसमें अमोनियम परक्लोरेट नाम का एक मेन कैमिकल भी शामिल है. यह कदम ऐसे वक्त पर उठाया उठाया गया है जब इजरायली हमलों के बाद ईरान और उसके सहयोगी ग्रुप (जैसे हौथी, हिज़्बुल्लाह) कमजोर हो गए हैं और ईरान की मिलिट्री ताकत भी घट गई है.
वॉल स्ट्रीट जर्नल की रिपोर्ट के मुताबिक, चीन से आने वाला यह सामान अगले कुछ महीनों में ईरान पहुंच जाएगा. इसमें हजारों टन ऐसा ईंधन है जिससे करीब 800 मिसाइलें बनाई जा सकती हैं. रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि इस सामान का कुछ हिस्सा यमन के हूति जैसे लड़ाकू समूहों को भी भेजा जा सकता है.
ईरान पिछले कुछ समय से चुपचाप चीन से यह ईंधन खरीद रहा है. खासतौर पर जब यह खबरें आईं कि ईरान उन 12 मशीनों (जिन्हें "प्लैनेटरी मिक्सर" कहा जाता है) की मरम्मत कर रहा है जिन्हें पिछले अक्टूबर में इजराइल ने तबाह कर दिया था. ये मशीनें रॉकेट ईंधन बनाने में इस्तेमाल होती हैं.
हालांकि ईरान ने अब तक आधिकारिक तौर पर इसकी पुष्टि नहीं की है, लेकिन बंदर रजाई नामक बंदरगाह पर हुए एक बड़े विस्फोट के बाद इस बात का खुलासा हुआ है. कहा जा रहा है कि यह धमाका अमोनियम परक्लोरेट की वजह से हुआ था, जो एक तेज़ ऑक्सीडाइज़र होता है. यह सामग्री फरवरी के मध्य और मार्च के अंत में ईरान के इस बंदरगाह पर आई थी और इससे करीब 260 छोटी दूरी की मिसाइलें बनाई जा सकती थीं.
साल 2022 में अमेरिका ने भी एक जहाज़ को जब्त किया था, जो 70 टन से ज़्यादा अमोनियम परक्लोरेट लेकर ईरान की ओर जा रहा था. हालांकि रिपोर्ट के अनुसार, चीन से इस बार जो सामान मंगवाया गया है, उसका समझौता कई महीने पहले ही हो गया था.
अमेरिका पहले भी कह चुका है कि चीन के कुछ लोग और कंपनियाँ ईरान की मिसाइल प्रोग्राम में मदद कर रहे हैं. अमेरिका के वित्त मंत्रालय ने अप्रैल में चीन, हांगकांग और ईरान की 6-6 कंपनियों और लोगों पर प्रतिबंध भी लगाए थे.