Strait Hormuz: मिडिल ईस्ट में तनाव अपने चरम पर है. ईरान और इजराइल अभी भी एक दूसरे पर हमला कर रहे हैं. इस हिंसा में अमेरिका के एंट्री के बाद तनाव अपने चरम पर पहुंच गया है. ईरान ने पहले ही साफ कर दिया था कि इजरायल का साथ देने वाले किसी भी देश को बख्शा नहीं जाएगा. अमेरिकी हमले के बाद तेहरान ने साफ तौर पर कहा है कि वह इस हमले का बदला लेगा. इस बीच, ईरानी संसद ने 22 जून को एक प्रस्ताव पारित कर होर्मुज जलडमरूमध्य को बंद करने की घोषणा की. तेहरान ने यह कदम अमेरिका द्वारा ईरान के परमाणु ठिकानों पर किए गए हवाई हमलों के बाद उठाया गया है. ईरान के इस कदम से तेल की कीमतें बढ़ने वाली हैं. आइए जानते हैं कैसे..
दरअसल, होर्मुज जलडमरूमध्य दुनिया के सबसे अहम तेल परिवहन मार्गों में से एक है और इस पर नियंत्रण वैश्विक ऊर्जा आपूर्ति पर सीधा असर डाल सकता है. हालांकि, इस प्रस्ताव पर अंतिम निर्णय ईरान की सुप्रीम नेशनल सिक्योरिटी काउंसिल और देश के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई द्वारा लिया जाएगा. संसद का यह प्रस्ताव सिर्फ उन्हें इस विकल्प के समर्थन की सूचना देने वाला कदम है.
ईरानी संसद ने क्या कहा था?
ईरानी संसद के राष्ट्रीय सुरक्षा आयोग के सदस्य और रिवोल्यूशनरी गार्ड्स के कमांडर इस्माइल कोसारी ने रविवार को मीडिया को बताया, “संसद इस निष्कर्ष पर पहुंची है कि होर्मुज जलडमरूमध्य को बंद कर दिया जाना चाहिए, लेकिन अंतिम निर्णय सुप्रीम नेशनल सिक्योरिटी काउंसिल के पास है." यह वोट अमेरिका द्वारा चलाए गए 'ऑपरेशन मिडनाइट हैमर' के बाद हुआ जिसमें अमेरिकी बी-2 स्टील्थ बॉम्बर्स ने ईरान के तीन प्रमुख परमाणु ठिकानों पर हमला किया. कुल 125 सैन्य विमान इस हमले में शामिल थे और 25 मिनट में पूरा अभियान पूरा किया गया.
अमेरिकी राष्ट्रपति ने दी धमकी
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि यह ऑपरेशन पूरी तरह सफल रहा और इन परमाणु ठिकानों को पूरी तरह तबाह कर दिया गया है. हालांकि, संयुक्त चीफ्स ऑफ स्टाफ चेयरमैन जनरल डैन कैन ने कहा कि इन स्थलों पर हुए नुकसान का पूरा आकलन करने में कुछ समय लगेगा. अगर ईरान वास्तव में होर्मुज जलडमरूमध्य को बंद करता है, तो इसका मतलब होगा कि वह रास्ते को नौवहन के लिए असुरक्षित बना देगा, जैसे कि समुद्र में माइन्स बिछाना या तेल टैंकरों पर मिसाइल हमले करना.
तेल के दामों इजाफा
होर्मुज जलडमरूमध्य फारस की खाड़ी को ओमान की खाड़ी और अरब सागर से जोड़ता है. इसकी चौड़ाई सबसे संकीर्ण बिंदु पर लगभग 21 मील है, जिसमें दो-दो मील की दो नौवहन लेन हैं. विश्व भर के लगभग 20 फीसद तेल का व्यापार इसी जलडमरूमध्य से होकर गुजरता है. विशेषज्ञों का मानना है कि अगर ईरान इस रास्ते को बंद करता है तो तेल की कीमतों में 30-50 फीसद तक उछाल आ सकता है और ईंधन की खुदरा कीमतों में पांच डॉलर प्रति गैलन तक की बढ़ोतरी हो सकती है. 1980 के ईरान-इराक युद्ध के दौरान भी ईरान ने तेल टैंकरों और लोडिंग सुविधाओं को निशाना बनाया था. हालांकि, रास्ता पूरी तरह बंद नहीं हुआ था.