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NATO के इस मुस्लिम मेंबर देश ने उठाया गाजा का मुद्दा, बोला ईरान में हो परमानेंट सीजफायर

तुर्की के राष्ट्रपति तैयप एर्दोआन ने बुधवार को एक नाटो शिखर सम्मेलन में नेताओं से कहा कि इज़राइल और ईरान के बीच जो सीजफायर हुआ है, उसे परमानेंट बनाना जरूरी है, और साथ ही उन्होंने गाज़ा में भी सीजफायर की मांग की ताकि वहां लोगों को खाना, दवाई और पानी मुहैया कराया जा सके. गाजा में हमलों

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NATO के इस मुस्लिम मेंबर देश ने उठाया गाजा का मुद्दा, बोला ईरान में हो परमानेंट सीजफायर
Sami Siddiqui |Updated: Jun 26, 2025, 08:40 AM IST
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Turkey News: तुर्की के राष्ट्रपति तैयप एर्दोआन ने बुधवार को एक नाटो शिखर सम्मेलन में नेताओं से कहा कि इज़राइल और ईरान के बीच जो सीजफायर हुआ है, उसे परमानेंट बनाना जरूरी है, और साथ ही उन्होंने गाज़ा में भी सीजफायर की मांग की ताकि वहां लोगों को खाना, दवाई और पानी मुहैया कराया जा सके.

गाजा में हमलों की आलोचना

तुर्की, जो नाटो का मेंबर है इज़राइल के हमलों की कड़ी आलोचना करता रहा है. वहां पर दो साल से जारी जंग की वजह से गाज़ा लगभग खंडहर बन चुका है और उसकी आबादी बेघर हो गई है. एर्दोगान ने यह भी कहा है कि ईरान के खिलाफ इज़राइल की यह कार्रवाई राज्य प्रायोजित आतंकवाद जैसी है, और इससे पूरे क्षेत्र में युद्ध फैलने का खतरा बढ़ गया है.

नाटो शिखर सम्मेलन

नाटो शिखर सम्मेलन में, जो द हेग (नीदरलैंड) में हुआ, एर्दोआन ने फ्रांस, जर्मनी और ब्रिटेन के नेताओं से बातचीत की. बातचीत में इलाकाई तनाव, बाइलेट्रल रिलेशन, यूरोपीय संघ से रिश्ते, और रक्षा उद्योग में सहयोग पर चर्चा हुई. एर्दोआन ने मंगलवार की रात अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से भी मुलाकात की थी.

फ्रांस के राष्ट्रपति से बातचीत

फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों के साथ बैठक के बाद एर्दोआन के कार्यालय ने कहा,"हमारे राष्ट्रपति ने कहा कि वह इज़राइल और ईरान के बीच हुए युद्धविराम का स्वागत करते हैं, और यह हालात अब स्थायी शांति में बदलनी चाहिए. साथ ही गाज़ा में मानवीय संकट लगातार बढ़ रहा है, इसलिए वहां भी तुरंत एक स्थायी संघर्षविराम जरूरी है."

एर्दोआन ने यही बात जर्मन चांसलर फ्रेडरिक मर्ज से भी कही और जोर दिया कि गाज़ा के मानवीय संकट का समाधान निकालना होगा. एर्दोआन ने ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीर स्टारमर से कहा कि इन तनावों के बीच गाज़ा में जो भयानक मानवीय संकट है, उसे नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए. एर्दोआन ने यह भी कहा कि तेहरान और वॉशिंगटन के बीच चल रही समस्याएं सिर्फ कूटनीति (डिप्लोमेसी) के ज़रिए ही सुलझ सकती हैं, और सभी देशों को मिडिल ईस्ट में स्थायी शांति लाने में योगदान देना चाहिए.

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