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Pak पुलिस ने महरंग बलोच को 10 दिन के रिमांड पर लिया, BYC बोला- गिरफ्तारी फर्जी और गैरकानूनी

Mahrang Baloch Arrested in Pak: बलूच अधिकार कार्यकर्ता महरंग बलोच को पाकिस्तान की एंटी-टेरर कोर्ट ने फिर से गिरफ्तार कर रिमांड पर भेज दिया है. BYC ने इसे फर्जी गिरफ्तारी बताते हुए सरकार पर राजनीतिक आवाजों को दबाने और मानवाधिकारों के उल्लंघन का आरोप लगाया है.  

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महरंग बलोच को गिरफ्तार कर ले जाती पाकिस्तानी पुलिस
महरंग बलोच को गिरफ्तार कर ले जाती पाकिस्तानी पुलिस
Raihan Shahid|Updated: Jul 08, 2025, 11:07 PM IST
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Pakistan News Today: पाकिस्तान में बलूच अधिकारों की आवाज उठाने वाली प्रमुख मानवाधिकार कार्यकर्ता महरंग बलोच को क्वेटा की एंटी-टेररिज्म कोर्ट (ATC) ने मंगलवार को 10 दिन की पुलिस रिमांड पर भेज दिया है. यह कार्रवाई उनके खिलाफ दर्ज कुछ एफआईआर के आधार पर की गई है, जिन्हें बलूच यकजिहती कमेटी (BYC) ने "फर्जी और बेबुनियाद" करार दिया है.

BYC की सदस्य समी दीन बलूच ने जानकारी दी कि महरंग बलोच और अन्य नेताओं के खिलाफ 'पब्लिक ऑर्डर की सुरक्षा' से जुड़ी धारा 3 एमपीओ को अचानक हटा लिया गया और उसी दिन उन्हें एटीसी कोर्ट में पेश कर दिया गया. इसके बाद महरंग बलोच को क्वेटा पुलिस की हिरासत में भेज दिया गया. समी दीन ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर लिखा कि यह पूरी कार्रवाई कानूनी प्रक्रिया का दुरुपयोग है और राजनीतिक कार्यकर्ताओं को दबाने की कोशिश है.

महरंग बलोच की बहन नादिया बलोच ने बताया कि मंगलवार को 3 एमपीओ मामलों की समीक्षा के लिए जजों की बोर्ड बैठक होनी थी, लेकिन उससे पहले ही गिरफ्तारी के पुराने आदेश वापस लेकर नए मामलों में दोबारा गिरफ्तार कर लिया गया.

BYC ने जानकारी दी कि पिछले हफ्ते महरंग बलोच, बिबगर बलोच, गुलजादी बलोच, मामा गफ्फार और अन्य कार्यकर्ताओं को तीन महीने के लिए हिरासत में लिया गया था. उन्हें 3 एमपीओ के तहत गिरफ्तार किया गया और हर महीने उनकी हिरासत को बिना कानूनी आधार के बढ़ाया जाता रहा. 22 जून को हिरासत की समय-सीमा खत्म हो गई, लेकिन ना तो उन्हें रिहा किया गया और ना ही किसी बोर्ड ने उनकी समीक्षा की और ना ही उनके परिवारों को कानूनी जानकारी दी गई.

BYC ने सभी गिरफ्तार नेताओं की तुरंत रिहाई की मांग की है और पाकिस्तान सरकार से अपील की है कि वह बलपूर्वक राजनीतिक आंदोलनों को दबाने की अपनी नीति को बंद करे. समिति का कहना है कि इस तरह की कार्रवाई लोकतंत्र और मानवाधिकारों के खिलाफ है.

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